राजस्थान का एकीकरण
राजस्थान का एकीकरण
> जॉर्ज थॉमस ने सन् 1800 में राजस्थान को राजपूताना नाम दिया।
> जेम्स टॉड ने ‘एनल्स एण्ड एण्टीक्यूटिस ऑफ राजस्थान’ पुस्तक में सन् 1829 में राजपूताना को राजस्थान नाम दिया।
> जेम्स टॉड जो 1800-1822 तक मेवाड़, जोधपुर, जैसलमेर, कोटा का पॉलिटिक्ल एजेन्ट रह चुका था।
> कर्नल टॉड ने दोनो पुस्तक ब्रिटेन जाकर लिखी थी। ‘ट्रेवल्स इन वेस्टर्न इण्डिया’
> एकीकरण से पहले राजस्थान में 19 रियासतें, 3 ठिकाने (नीमराणा, कुषलगढ़, लावा), अजमेर-मेरवाड़ केन्द्र शासित प्रदेष था।
> माउण्ट आबू A.A.G का मुख्यालय था।
> सबसे बड़ी रियासत:- मारवाड़ (जोधपुर)
> सबसे प्राचीन रियासत:- मेवाड़
> सबसे नयी रियासत:- झालावाड़ (झाला मदन सिंह ने 1835 में स्थापित की थी)
> झालिम सिंह का पुत्र मदन सिंह था।
> 1832 में नसीराबाद छावनी की स्थापना हुई, जो राजस्थान की सबसे शक्तिषाली छावनी थी।
> छः छावनी:- नसीराबाद, एरिनपुरा, ब्यावर, नीमच, खेरवाड़ा, देवली।
> खेरवाड़ा (उदयपुर), नीमच (चित्तौड़गढ, वर्तमान मध्यप्रदेष में), एरिनपुरा (जोधपुर, वर्तमान पाली), देवली (टोंक)
- मत्स्य संघ:-
> राजस्थान संघ/ पूर्व राजस्थान
> संयुक्त राजस्थान
> वृहद् राजस्थान
> संयुक्त वृहद् राजस्थान
- मत्स्य संघ:-
> इसकी स्थापना 18 मार्च, 1948 को की गई थी।
> अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर
> इनका एकीकरण सर्वप्रथम करने का कारण गांधीजी की हत्या में इनकी भूमिका मानी जा रही थी तथा ये जनसंख्या व आय की दृष्टि से छोटी रियासते थे।
> राजधानी:- अलवर
> मत्स्य जनपद में मुख्य रूप से अलवर था (विराट नगर)
> महाराजा धौलपुर को राजप्रमुख बनाया गया, जिनका नाम था उदयभानसिंह
> प्रधानमंत्र:- शोभाराम कुमावत
> उद्घाटन:- एन.वी.गॉडगिल (अर्थषास्त्री)
- राजस्थान संघ:-
> इसकी स्थापना 25 मार्च, 1948 को की गयी थी।
> इस चरण में सर्वांधिक रियासतों का एकीकरण किया गया:- कोटा, बूंदी, किषनगढ़, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, झालावाड़, शाहपुरा, टोंक, कुषलगढ़ (ठिकाना, बांसवाड़ा)
> राजधानी:- कोटा, उद्घाटन:- गॉडगिल
> राजप्रमुख:- कोटा का भीमसिंह
> प्रधानमंत्री:- गोकुल लाल असावा
- संयुक्त राजस्थान:-
> इसकी स्थापना 18 अप्रैल, 1948 को की गईं थी।
> उदयपुर रियासत को राजस्थान संघ में मिलाया गया।
> राजप्रमुख:- उदयपुर के भोपालसिंह (भूपालसिंह)
> उप-राजप्रमुख कोटा को बनाया गया (भीमसिंह)
> प्रधानमंत्री:- माणिक्यलाल वर्मा कों
> राजधानी:- उदयपुर, उद्घाटनकर्त्ता:- नेहरू
- वृहद् राजस्थान:-
> इसकी स्थापना 30 मार्च, 1949 को की गई थी।
> चार रियासतों का संयुक्त राजस्थान में विलय कर वृहद् राजस्थान बनाया।
> जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर
> सार्दुलसिंह ने सबसे पहले विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए फिर जोधपुर, जैसलमेर, जयपुर ने किए।
> राजधानी:- जयपुर
> आजीवन राजप्रमुख्या:- मानसिंह
> भूपालसिंह को महाराज प्रमुख बनाया गया।
> राजधानी:- जयपुर
> प्रधानीमंत्री:- हीरालाल शास्त्री
> उद्घाटन:- वल्लभ भाई पटेल ने किया।
- संयुक्त वृहद् राजस्थान:-
> इसकी स्थापना 15 मई, 1949 को की गई थी। (मत्स्य संघ व नीमराणा ठिकाना)।
> मत्स्य संघ का वृहद् राजस्थान में विलय किया गया।
> धौलपुर व भरतपुर उत्तरप्रदेष में मिलना चाहते थे।
> लेकिन पटेल के कारण व भारत सचिव वी.पी.मेनन के प्रयासों से इनका विलय राजस्थान मं किया गया।
- राजस्थान:-
> इस चरण में 26 जनवरी, 1950 को सिरोही को संयुक्त वृहद् राजस्थान में मिलाया गया।
- वर्तमान राजस्थान:-
> 1 नवम्बर, 1956 को अजमेर-मेरवाड़, आबू, मध्यप्रदेष का सुनेलटपा को राजस्थान में मिलाया गया। राजस्थान का सिरौंज जो पहले कोटा के अन्तर्गत आता था, उसे मध्यप्रदेष में मिलाया गया।
> उपयुक्त सभी को विलय करने के लिए फजल अली समिति का गठन किया गया था।
> 1 नवम्बर, 1956 को राजस्थान का पूर्ण रूप से गठन हुआ। गठन के समय 26 जिले थें।
> 15 अप्रैल, 1982 को धौलपुर को 27 वां जिला घोषित किया गया।
> 10 अप्रैल, 1991 को बांरा, दौसा, राजसमंद को जिला घोषित किया गया।
> जुलाई, 1994 में को हनुमानगढ़ को 31 वां जिला घोषित किया गया।
> 19 जलाई, 1997 को करौली को 32 वां जिला घोषित किया गया।
> 26 जनवरी, 2008 को प्रतापगढ़ को 33 वां दिला घाषित किया गया।
> सर्वांधिक प्रवीपर्स (सालाना खर्च) मेवाड़ को दिया गया था।
> मेवाड़ के महाराणा का उद्देष्य ‘युनाइटेड स्टेट ऑफ राजस्थान’ बनाने का था।
> इन्हें संतुष्ट करेन के लिए संयुक्त राजस्थान के संविधान में संषोधन कर इसे ‘यूनाइटेड स्टेट ऑफ राजस्थान’ नाम दिया गया था।
राजस्थान का एकीकरण
एनल्स एण्ड एन्टीक्यूटीज आफ राजस्थान (1828), कर्नल टाॅड ने राजस्थान नाम दिया।
राजस्थान को राजपूताना नाम सन् 1800 जार्ज थाॅमस ने दिया।
राजस्थान का निर्माण 18.03.1948 से प्रारम्भ होकर 01.11.1956 में पूरा हुआ।
इस एकीकरण में सात चरण लगे एवं 8 वर्ष 5 माह एवं 14 दिन का समय लगा।
राजस्थान की चार रियासतें डूंगरपुर, अलवर, भरतपुर, जोधपुर एकीकरण में शामिल नहीं होकर स्वतंत्र रहने की इच्छुक थी।
राजस्थान के एकीकरण का श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता हैं।
राजस्थान के एकीकरण के समय सरदार वल्लभभाई पटेल गृहमंत्री थें।
मेवाड़ रियासत राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत थी।
क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत जोधपुर थी।
मत्स्य संघ:-
18 मार्च, 1948 कोंअलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली और नीमराणा ठिकाने को मिलाया गया।
मत्स्य संघ की राजस्थानी अलवर बनी।
राज प्रमुख:- धौलपुर के शासक उदयभानसिंह को बनाया गया।
प्रधानमंत्री:- अलवर के शोभाराम कुमावत को बनाया गया।
राजस्थान संघ (23 मार्च, 1948):-
राजस्थान की 9 रियासतों को मिलाकर राजस्थान संघ का निर्माण किया गया। कोटा, बूंदी, झालावाड़, डंूगरपुर, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, शाहपुरा, किषनगढ़ एवं टोंक को मिलाया गया।
राजधानी कोटा को रखा गया।
कोटा महाराज भीमसिंह को राजप्रमुख बनाया गया।
गोकुललाल असावा को प्रधानमंत्री बनाया गया।
इसका उद्घाटन एन.वी.गाॅडगिल ने किया।
संयुक्त राजस्थान (18 अप्रैल, 1948):-
राजस्थान संघ में उदयपुर का विलय कर संयुक्त राजस्थान का निर्माण किया गया।
इसकी राजधानी उदयपुर को बनाया गया।
भूपालसिंह को राजप्रमुख बनाया गया।
माणिक्यलाल वर्मां को प्रधानमंत्री बनाया गया।
इसका उद्घाटन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
वृहत् राजस्थान (30 मार्च, 1949):-
राजस्थान की चार बड़ी रियासतों को संयुक्त राजस्थान में मिलाया गया।
जोधपुर, जैसलमेर, जयपुर, बीकानेर को मिलाया गया।
जयपुर को राजधानी रखा गया।
जयपुर के सवांई मानसिंह को राज. प्रमुख बनाया गया।
उदयपुर के शासक भूपालसिंह को महाराज प्रमुख बनाया गया।
हीरालाल शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया।
संयुक्त वृहत राजस्थान:-
15 मई, 1949 को मत्स्य संघ का विलय वृहत् राजस्थान में कर दिया गया।
राजस्थान:-
26 जनवरी, 1950 को संयुक्त वृहत् राजधान में सिरोही का विलय किया गया।
पुर्नःगठित राजस्थान:-
1 नवम्बर, 1956 को फजल अली आयोग की सिफारिषों के आधार पर अजमेर, मेरवाड़ा क्षेत्र मध्यप्रदेष का सुनेल टप्पा (मंदसौर) राजस्थान में मिलाया गया। कोटा का सिरोज क्षेत्र मध्यप्रदेष को दे दिया गया।
1927 के मद्रास अधिवेषन के दौरान कांग्रेस ने रियासतों में उत्तरदायी शासन स्थापित करने का प्रस्ताव पारित किया।
1938 के हरिपुरा अधिवेषन में सुभाषचन्द्रबोस ने रियासतों की जनतों को अपने-अपने राज्य मंे उत्तरदायी शासन स्थापित करने के लिए एवं स्वतंत्र संगठन बनाने का आह्वान किया।
प्रजामण्डल
प्रजामण्डलों की स्थापना का मुख्य उद्देष्य था व्याप्त बुराईयों को समाप्त करना और नागरिकों को उनके मौलिक अधिकार दिलाना।
इस दिषा में 1938 में हरिपुरा अधिवेष (अध्यक्ष:- सुभाषचन्द्र बोस) में राज्य की जनता में चेतना जागृत करने के लिए संगठित किया गया एवं अपने-अपने राज्य में उत्तरदायी शासन की स्थापना का आह्वान किया गया।
मारवाड़ में राजनीतिक जागृति प्रारम्भ करने का श्रेय मारवाड़ सेवा संघ को जाता हैं। जयुपर राजघराने ने प्रजामण्डलों को संरक्षण दिया।
1938 में लगभग सभी रियासतों में प्रजामण्डलों की स्थापना हो गई।
1927 में कांग्रेस अधिवेषन (मद्रास) हुआ। इसमे रियासतों में प्रतिनिध संस्थाएँ और उत्तरदायी शासन स्थापित करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
1927 में अखिल भारतीय देषी राज्य लोकपरिषद की स्थापना मुंबई में की गई, इसके अध्यक्ष नेहरूजी थे।
राजस्थान का एकीकरण
> जॉर्ज थॉमस ने सन् 1800 में राजस्थान को राजपूताना नाम दिया।
> जेम्स टॉड ने ‘एनल्स एण्ड एण्टीक्यूटिस ऑफ राजस्थान’ पुस्तक में सन् 1829 में राजपूताना को राजस्थान नाम दिया।
> जेम्स टॉड जो 1800-1822 तक मेवाड़, जोधपुर, जैसलमेर, कोटा का पॉलिटिक्ल एजेन्ट रह चुका था।
> कर्नल टॉड ने दोनो पुस्तक ब्रिटेन जाकर लिखी थी। ‘ट्रेवल्स इन वेस्टर्न इण्डिया’
> एकीकरण से पहले राजस्थान में 19 रियासतें, 3 ठिकाने (नीमराणा, कुषलगढ़, लावा), अजमेर-मेरवाड़ केन्द्र शासित प्रदेष था।
> माउण्ट आबू A.A.G का मुख्यालय था।
> सबसे बड़ी रियासत:- मारवाड़ (जोधपुर)
> सबसे प्राचीन रियासत:- मेवाड़
> सबसे नयी रियासत:- झालावाड़ (झाला मदन सिंह ने 1835 में स्थापित की थी)
> झालिम सिंह का पुत्र मदन सिंह था।
> 1832 में नसीराबाद छावनी की स्थापना हुई, जो राजस्थान की सबसे शक्तिषाली छावनी थी।
> छः छावनी:- नसीराबाद, एरिनपुरा, ब्यावर, नीमच, खेरवाड़ा, देवली।
> खेरवाड़ा (उदयपुर), नीमच (चित्तौड़गढ, वर्तमान मध्यप्रदेष में), एरिनपुरा (जोधपुर, वर्तमान पाली), देवली (टोंक)
- मत्स्य संघ:-
> राजस्थान संघ/ पूर्व राजस्थान
> संयुक्त राजस्थान
> वृहद् राजस्थान
> संयुक्त वृहद् राजस्थान
- मत्स्य संघ:-
> इसकी स्थापना 18 मार्च, 1948 को की गई थी।
> अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर
> इनका एकीकरण सर्वप्रथम करने का कारण गांधीजी की हत्या में इनकी भूमिका मानी जा रही थी तथा ये जनसंख्या व आय की दृष्टि से छोटी रियासते थे।
> राजधानी:- अलवर
> मत्स्य जनपद में मुख्य रूप से अलवर था (विराट नगर)
> महाराजा धौलपुर को राजप्रमुख बनाया गया, जिनका नाम था उदयभानसिंह
> प्रधानमंत्र:- शोभाराम कुमावत
> उद्घाटन:- एन.वी.गॉडगिल (अर्थषास्त्री)
- राजस्थान संघ:-
> इसकी स्थापना 25 मार्च, 1948 को की गयी थी।
> इस चरण में सर्वांधिक रियासतों का एकीकरण किया गया:- कोटा, बूंदी, किषनगढ़, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, झालावाड़, शाहपुरा, टोंक, कुषलगढ़ (ठिकाना, बांसवाड़ा)
> राजधानी:- कोटा, उद्घाटन:- गॉडगिल
> राजप्रमुख:- कोटा का भीमसिंह
> प्रधानमंत्री:- गोकुल लाल असावा
- संयुक्त राजस्थान:-
> इसकी स्थापना 18 अप्रैल, 1948 को की गईं थी।
> उदयपुर रियासत को राजस्थान संघ में मिलाया गया।
> राजप्रमुख:- उदयपुर के भोपालसिंह (भूपालसिंह)
> उप-राजप्रमुख कोटा को बनाया गया (भीमसिंह)
> प्रधानमंत्री:- माणिक्यलाल वर्मा कों
> राजधानी:- उदयपुर, उद्घाटनकर्त्ता:- नेहरू
- वृहद् राजस्थान:-
> इसकी स्थापना 30 मार्च, 1949 को की गई थी।
> चार रियासतों का संयुक्त राजस्थान में विलय कर वृहद् राजस्थान बनाया।
> जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर
> सार्दुलसिंह ने सबसे पहले विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए फिर जोधपुर, जैसलमेर, जयपुर ने किए।
> राजधानी:- जयपुर
> आजीवन राजप्रमुख्या:- मानसिंह
> भूपालसिंह को महाराज प्रमुख बनाया गया।
> राजधानी:- जयपुर
> प्रधानीमंत्री:- हीरालाल शास्त्री
> उद्घाटन:- वल्लभ भाई पटेल ने किया।
- संयुक्त वृहद् राजस्थान:-
> इसकी स्थापना 15 मई, 1949 को की गई थी। (मत्स्य संघ व नीमराणा ठिकाना)।
> मत्स्य संघ का वृहद् राजस्थान में विलय किया गया।
> धौलपुर व भरतपुर उत्तरप्रदेष में मिलना चाहते थे।
> लेकिन पटेल के कारण व भारत सचिव वी.पी.मेनन के प्रयासों से इनका विलय राजस्थान मं किया गया।
- राजस्थान:-
> इस चरण में 26 जनवरी, 1950 को सिरोही को संयुक्त वृहद् राजस्थान में मिलाया गया।
- वर्तमान राजस्थान:-
> 1 नवम्बर, 1956 को अजमेर-मेरवाड़, आबू, मध्यप्रदेष का सुनेलटपा को राजस्थान में मिलाया गया। राजस्थान का सिरौंज जो पहले कोटा के अन्तर्गत आता था, उसे मध्यप्रदेष में मिलाया गया।
> उपयुक्त सभी को विलय करने के लिए फजल अली समिति का गठन किया गया था।
> 1 नवम्बर, 1956 को राजस्थान का पूर्ण रूप से गठन हुआ। गठन के समय 26 जिले थें।
> 15 अप्रैल, 1982 को धौलपुर को 27 वां जिला घोषित किया गया।
> 10 अप्रैल, 1991 को बांरा, दौसा, राजसमंद को जिला घोषित किया गया।
> जुलाई, 1994 में को हनुमानगढ़ को 31 वां जिला घोषित किया गया।
> 19 जलाई, 1997 को करौली को 32 वां जिला घोषित किया गया।
> 26 जनवरी, 2008 को प्रतापगढ़ को 33 वां दिला घाषित किया गया।
> सर्वांधिक प्रवीपर्स (सालाना खर्च) मेवाड़ को दिया गया था।
> मेवाड़ के महाराणा का उद्देष्य ‘युनाइटेड स्टेट ऑफ राजस्थान’ बनाने का था।
> इन्हें संतुष्ट करेन के लिए संयुक्त राजस्थान के संविधान में संषोधन कर इसे ‘यूनाइटेड स्टेट ऑफ राजस्थान’ नाम दिया गया था।
राजस्थान का एकीकरण
एनल्स एण्ड एन्टीक्यूटीज आफ राजस्थान (1828), कर्नल टाॅड ने राजस्थान नाम दिया।
राजस्थान को राजपूताना नाम सन् 1800 जार्ज थाॅमस ने दिया।
राजस्थान का निर्माण 18.03.1948 से प्रारम्भ होकर 01.11.1956 में पूरा हुआ।
इस एकीकरण में सात चरण लगे एवं 8 वर्ष 5 माह एवं 14 दिन का समय लगा।
राजस्थान की चार रियासतें डूंगरपुर, अलवर, भरतपुर, जोधपुर एकीकरण में शामिल नहीं होकर स्वतंत्र रहने की इच्छुक थी।
राजस्थान के एकीकरण का श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता हैं।
राजस्थान के एकीकरण के समय सरदार वल्लभभाई पटेल गृहमंत्री थें।
मेवाड़ रियासत राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत थी।
क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत जोधपुर थी।
मत्स्य संघ:-
18 मार्च, 1948 कोंअलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली और नीमराणा ठिकाने को मिलाया गया।
मत्स्य संघ की राजस्थानी अलवर बनी।
राज प्रमुख:- धौलपुर के शासक उदयभानसिंह को बनाया गया।
प्रधानमंत्री:- अलवर के शोभाराम कुमावत को बनाया गया।
राजस्थान संघ (23 मार्च, 1948):-
राजस्थान की 9 रियासतों को मिलाकर राजस्थान संघ का निर्माण किया गया। कोटा, बूंदी, झालावाड़, डंूगरपुर, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, शाहपुरा, किषनगढ़ एवं टोंक को मिलाया गया।
राजधानी कोटा को रखा गया।
कोटा महाराज भीमसिंह को राजप्रमुख बनाया गया।
गोकुललाल असावा को प्रधानमंत्री बनाया गया।
इसका उद्घाटन एन.वी.गाॅडगिल ने किया।
संयुक्त राजस्थान (18 अप्रैल, 1948):-
राजस्थान संघ में उदयपुर का विलय कर संयुक्त राजस्थान का निर्माण किया गया।
इसकी राजधानी उदयपुर को बनाया गया।
भूपालसिंह को राजप्रमुख बनाया गया।
माणिक्यलाल वर्मां को प्रधानमंत्री बनाया गया।
इसका उद्घाटन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
वृहत् राजस्थान (30 मार्च, 1949):-
राजस्थान की चार बड़ी रियासतों को संयुक्त राजस्थान में मिलाया गया।
जोधपुर, जैसलमेर, जयपुर, बीकानेर को मिलाया गया।
जयपुर को राजधानी रखा गया।
जयपुर के सवांई मानसिंह को राज. प्रमुख बनाया गया।
उदयपुर के शासक भूपालसिंह को महाराज प्रमुख बनाया गया।
हीरालाल शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया।
संयुक्त वृहत राजस्थान:-
15 मई, 1949 को मत्स्य संघ का विलय वृहत् राजस्थान में कर दिया गया।
राजस्थान:-
26 जनवरी, 1950 को संयुक्त वृहत् राजधान में सिरोही का विलय किया गया।
पुर्नःगठित राजस्थान:-
1 नवम्बर, 1956 को फजल अली आयोग की सिफारिषों के आधार पर अजमेर, मेरवाड़ा क्षेत्र मध्यप्रदेष का सुनेल टप्पा (मंदसौर) राजस्थान में मिलाया गया। कोटा का सिरोज क्षेत्र मध्यप्रदेष को दे दिया गया।
1927 के मद्रास अधिवेषन के दौरान कांग्रेस ने रियासतों में उत्तरदायी शासन स्थापित करने का प्रस्ताव पारित किया।
1938 के हरिपुरा अधिवेषन में सुभाषचन्द्रबोस ने रियासतों की जनतों को अपने-अपने राज्य मंे उत्तरदायी शासन स्थापित करने के लिए एवं स्वतंत्र संगठन बनाने का आह्वान किया।
प्रजामण्डल
प्रजामण्डलों की स्थापना का मुख्य उद्देष्य था व्याप्त बुराईयों को समाप्त करना और नागरिकों को उनके मौलिक अधिकार दिलाना।
इस दिषा में 1938 में हरिपुरा अधिवेष (अध्यक्ष:- सुभाषचन्द्र बोस) में राज्य की जनता में चेतना जागृत करने के लिए संगठित किया गया एवं अपने-अपने राज्य में उत्तरदायी शासन की स्थापना का आह्वान किया गया।
मारवाड़ में राजनीतिक जागृति प्रारम्भ करने का श्रेय मारवाड़ सेवा संघ को जाता हैं। जयुपर राजघराने ने प्रजामण्डलों को संरक्षण दिया।
1938 में लगभग सभी रियासतों में प्रजामण्डलों की स्थापना हो गई।
1927 में कांग्रेस अधिवेषन (मद्रास) हुआ। इसमे रियासतों में प्रतिनिध संस्थाएँ और उत्तरदायी शासन स्थापित करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
1927 में अखिल भारतीय देषी राज्य लोकपरिषद की स्थापना मुंबई में की गई, इसके अध्यक्ष नेहरूजी थे।
Good article
ReplyDeleteHelp us lot
http://www.insightonras.com/integration-of-rajasthan/