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Thursday, May 17, 2018

राजस्थान की सिंचाई परियोजनाऐं

राजस्थान की सिंचाई परियोजनाऐं
राजस्थान की परियोजनाएँ
-  सिंचाई परियोजनाऐं –   जल-विद्युत परियोजनाऐं
-   ताप-विद्युत परियोजनाऐं  -  अन्य विद्युत परियोजनाऐं:- पवन ऊर्जा, बायोगैस
सिंचाई परियोजनाऐं
चम्बल नदी घाटी परियोजना:-

    पहली पंचवर्षीय योजना के दौरान स्थापित बहुउद्देष्यीय परियोजना हैं।
    जो राजस्थान व मध्यप्रदेष की संयुक्त परियोजना हैं।
    इस परियोजना के अन्तर्गत तीन बांध बनाए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-
    गांधी सागर बांध (मध्यप्रदेष के मन्दसौर जिले में):-
    इस बांध से सिंचाईं नहीं होती हैं।


राणाप्रताप सागर बांध (चित्तौड़गढ़ में):-

    इससे भी सिंचाई नहीं होती हैं, केवल बिजली बनती हैं।

जवाहर सागर बांध (कोटा में):-

    कोटा बैराज -कोटा में स्थापित हैं। इस बांध से नहरे
    निकाली गई हैं। इस बांध के अन्तर्गत 8 लिफ्ट नहर हैं, जिनसे कोटा व
    बांरा को सिंचाई उपलब्ध होती हैं।
    सवांईमाधोपुर में चम्बल नदी पर इंदिरा लिफ्ट परियोजना स्थित है। जिससे सवांईमाधोपुर, करौली को सिंचाई व पेयजल मिलता हैं।
    सर्वाधिक अपवाह तंत्र:- झालावाड़
    सर्वाधिक बहाव क्षेत्र:- बहाव क्रमष चित्तौड़गढ़, कोटा, बूंदी, सवांईमाधोपुर,
    करौली, धौलपुर में होता हैं।

माही नदी घाटी परियोजना:-

    यह सन् 1971 में स्थापित की गई।
    यह राजस्थान व गुजरात की संयुक्त परियोजना हैं।
    यह बांसवाड़ा में स्थित है।

बंाध का नाम:- ‘जमनालाल बजाज सागर परियोजना’

    कड़ाना बांध जो गुजरात व डुंगरपुर की सीमा पर स्थित हैं।
    जमनालाल बजाज सागर बांध का निर्माण राजस्थान सरकार द्वारा किया गया हैं।
    इस बांध से बांसवाड़ा, डूंगरपुर को पेयजल व सिंचाई उपलब्ध होती हैं।
    माही नदी का 60ः पानी राजस्थान को मिलता हैं।
    कड़ाना बांध का निर्माण गुजरात सरकार द्वारा करवाया गया।
    कड़ाना बांध से नर्मदा नहर को पानी मिलेगा।

नर्मदा नहर:-

    सरदार सरोवर से निकाली गई हैं। इसकी लम्बाई 458 किलोमीटर हैं।
    इस नहर में पानी मार्च 2008 में छोड़ा गया था।
    यह पानी जालौर के शील गांव तक पहुंचा।
    इस नहर से जालौर का सांचैर व बाड़मेर की गुढ़ामलानी तहसील सिंचित होगी।
    कालांतर में सम्पूर्ण बाड़मेर, जालौर व सिरोही को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
    यह राजस्थान की एकमात्र परियोजना हैं, जिसमें फव्वारों से सिंचाई होगी।
    इस नहर को कड़ाना बांध व दोतीवाड़ा बांध (गुजरात, पष्चिमी बनास) से पानी मिलेगा।

जवांई बांध:-

    पाली के सुमेरपुर तहसील में जवांई नदी पर स्थित हैं।
    इसका निर्माण जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया।
    इसके इंजीनियर मोतीसिंह थे।
    इसके निर्माण का उद्देष्य जोधपुर व पाली शहर को पीने पानी उपलब्ध करवाना था।

सेई परियोजना:-

    उदयपुर की घाटियों में सेई नदी पर एक बांध बनाया गया हैं। जिसका पानी इकट्ठा करके भूमिगत नहर के द्वारा जवांई बांध के लिए भेजा जाएगा।
    जो गैर-मानसून अवधि में पीने का पानी व सिंचाई उपलब्ध करवाएगा।

बीसलपुर बांध:-

    बनास नदी पर टोंक में टोड़ारायसिंह तहसील के पास स्थित हैं।
    यह बांध अभी भी निर्माणाधीन हैं।
    इसका निर्माण विष्व बैंक की सहायता से किया जा रहा हैं।
    बीसलपुर बांध से अजमेर व जयपुर को पीने का पानी उपलब्ध होगा।
    इस बांध का विाद टोरड़ी सागर की जलापूर्ति से संबंधित था। (2005 में विवाद हुआ जब सोहेला में पुलिस द्वारा लोगो पर गोलियां चलाई गई)
    गोलीकाण्ड की जांच अनुपचन्द गोयल द्वारा की जा रही हैं।

ईसरदा बांध (ईसरदा):-

    बनास नदी पर सवांईमाधोपुर व टोंक के मध्य स्थित हैं।
    इसका उद्देष्य टोंक और सवांईमाधोपुर के सीमावर्ती गांवों में पीने का पानी उपलब्ध करवाना हैं।

मेजा बांध:-

    भीलवाड़ा में कोठारी नदी पर स्थित हैं।
    इस बांध से भीलवाड़ा शहर को पीने का पानी उपलब्ध होता हैं। (ग्रीन माऊण्ट पार्क)
    यह कंकरीट का बना बांध हैं।

पाचना बांध:-

    यह मिट्टी का बना बांध हैं। यह उच्च तकनीक का बांध हैं जो अमरीकी तकनीक से बना हैं। यह करौली में स्थित हैं।

जाखम बांध:-

    माही की सहायक नदी जाखम पर प्रतापगढ़ में स्थित हैं।
    इस बांध का निर्माण सन् 1962 में करवाया गया था।
    इस बांध का उद्देष्य जनजाति क्षेत्र का आर्थिक विकास करना हैं।
    सन् 1992 में इस बांध को जनजाति उपयोजना के अन्तर्गत शामिल किया गया था।
    4.5 मेगावाट की दो जल-विद्युत की इकाईयां स्थापित हैं। इस बांध से सर्वांधिक फायदा आदिवासी कृषकों को हुआ, विषेषकार उदयपुर व प्रतापगढ़ (चित्तौड़गढ़) के।

ओराई जल परियोजना (सिंचाई):-

    चित्तौड़गढ़ में ओराई नदी (चम्बल की सहायक नदी) पर स्थित हैं।
    इस बांध का उद्देष्य पहाड़ी क्षेत्र मंे मिट्टी के कटाव को रोकना हैं।

बांकली बांध:-

    यह जालौर में, सुकड़ी व कुलथाना नदियों के संगम पर स्थित हैं।
    इस बांध में जालौर, पाली व जोधपुर को पेयजल व सिंचाई उपलब्ध होती हैं।

पार्वती योजना:-

    यह धौलपुर मंे पार्वती नदी पर स्थित हैं।
    इस बांध का निर्माण सन् 1959 में किया गया था।
    इस बांध से नहर निकाली गई हैं जिससे धौलपुर व भरतपुर को सिंचाई होती हैं।
    पार्वती चम्बल की सहायक नदी हैं जो बांयी ओर से चम्बल मंे मिलती हैं।

सोम कागदर परियोजना:- यह उदयपुर मंे स्थापित परियेाजना हैं।
सोम-कमला अम्बा सिंचाई परियोजना:-

    यह डूंगरपुर में स्थापित परियोजना हैं।
    अड़वान बांध भीलवाड़ा में मानसी नदी पर
    गंभीर बांध निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ़) में गंभीरी नदी पर।
    हरिषचन्द्र सागर बांध व भीम सागर बांध भीलवाड़ा में।
    लासड़िया बांध अजमेर में खारी नदी पर।
    डाईया बांध उदयपुर में गोमती नदी पर।
    गोठरा बांध बूदी में।

कायलाना बांध जोधपुर में स्थित हैं। इसके द्वारा जोधपुर को पीने का पानी उपलब्ध करवाया जाता हैं।

नहरें
गंग नहर:-

    इसका निर्माण सन् 1927 में किया गया था।
    यह पंजाब में हुसैनीवाला नामक स्थान से सतलज नदी से निकाली गई हैं।
    राजस्थान में इस नहर से सर्वांधिक सिंचाई गंगानगर को, हनुमानगढ़, रायसीनगर, पदमपुर, अनूपगढ़ तक इसकी सिंचाई फैली हुई हैं।
    इस नहर से लगभग 1.5 लाख हैक्टेयर में सिंचाई होती हैं।
    इस नहर के मरम्मत के लिए गंगनहर लिंक पैनल का निर्माण किया गया हैं।
    सन् 1980-81 में हरियाणा सरकार की सहायता 80 किलोमीटर लिंक चैनल करवाया गया।

भरतपुर नहर:-

    इसके निर्माण का पहला प्रयास सन् 1906 में किया गया था। लेकिन सफलता नहीं मिली।
    सन् 1960 में निर्माण कार्य शुरू हुआ। 1963-64 में निर्माण पुरा हुआ।
    यह नहर आगरा के पास यमुना से निकाली गई हैं।
    इस नहर से भरतपुर के डीग व कामा में सिंचाई होती हैं।

गुडगांव नहर:-

    यह हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त परियोजना हैं।
    इसका उद्गम हरियाणा के ओखला नामक स्थान से होता हैं।
    इस नहर से भरतपुर के उत्तर मंे कामा पहाड़ी और जुरेरा में (जुरेरा) सिंचाई व पीने का पानी मिलता हैं।
    इसका निर्माण कार्य सन् 1980 में हुआ था।

राजस्थान से बाहर स्थित परियोजनाएं (भागीदारी):-
सरदार सरोवर , कड़ाना बांध , दांतीवाड़ा बांध (पष्चिमी बनास)
भाखड़ा नागल परियोजना:-

    हिमाचल प्रदेष में सतलज नदी पर स्थित हैं।
    यह परियोजना राजस्थान, पंजाब व हरियाणा के मध्य की परियोजना हैं।
    इस परियोजना से दिल्ली और हिमाचल प्रदेष को बिजली मिलती हैं।
    राजस्थान की इस बांध से 15.22 % भागीदारी हैं।
    राजस्थान को इस परियोजना से पानी इंदिरा गांधी नहर के माध्यम से मिलता हैं।
    इसी परियोजना के अन्तर्गत रावी-व्यास का पानी भी राजस्थान को मिलता हैं।
    व्यास नदी सतलज की सहायक हैं, जो हरि के बैराज नामक स्थान पर आकर सतलज में मिलती हैं।
    रावी का पानी लिंक नहर द्वारा व्यास में गिराया जाता हैं। जिससे इसका अधिषेष पानी राजस्थान फीडर नहर को मिलता हैं।

सिद्धमुख नोहर परियोजना:-

    यह एक नहर हैं जो सतलज नदी से निकाली गई हैं।
    ठस नहर से हनुमानगढ़, चुरू, झुन्झनु और सीकर को पीने का पानी उपलब्ध होता हैं।
    इसका षिलान्यास सन् 1986 में राजीवगांधी ने किया था।
    इसमें पानी की शुरूआत सोनिया गांधी ने सन् 2002 में की।

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