राजस्थान के प्रमुख व्यक्ति
राजस्थान के प्रमुख व्यक्ति
अर्जुनलाल सेठी:-
इनका जन्म सितम्बर, 1880 में जयपुर में जैन परिवार में हुआ था।
इन्हे पालि, अंग्रेजी, फारसी, अरबी भाषाओं का अच्छा ज्ञान था।
यह राष्ट्रवादी नेता थे साथ ही अच्छे साहित्यकार भी थें।
इनका कार्यक्षेत्र अजमेर था।
इन्होने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी हिस्सा लिया था।
इनकी मुख्य कृतियां ‘‘पाष्र्व यज्ञ’’ ‘‘मदन पराजय’’ आदि हैं।
इन्होने स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए भारतीय प्रषासनिक सेवा का पद ठुकरा दिया। जयपुर में जनक्रान्ति सेठजी के प्रयासों से हुई।
अर्जुनलाल सेठी के प्रयासों से सन् 1907 में जयपुर में जैन षिक्षा सोसायटी की स्थापना हुई। सेठी के प्रयासों से इसी संस्ािा का नाम जैन वर्धमान विद्यालय पाठषाला रख दिया गया।
अर्जुनलाल सेठी ने जयपुर प्रजामण्डल की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सन् 1919 में स्थापित राजपूताना मध्यभारत संस्था में भी इनका योगदान महत्वपूर्ण था
इनका निधन सन् 1941 में हुआ था।
केसरीसिंह बारहठ:-
यह भीलवाड़ा के शाहपुरा के निवासी थें। इनका पूरा परिवार स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़ा।
इन्होनं ‘‘अभिनव भारती’’ संस्था की स्थापना की।
सन् 1910 में वीर भारत सभा की स्थापना की।
इनकी प्रमुख कृति ‘‘चेतावनी रा चुग्टया’’ जिसमें उदयपुर के महाराज फतहसिंह को दिल्ली दरबार में जाने से रोका गया एवं ‘‘राजस्थान का केसरी’’ हैं।
प्रतापसिंह बारहठ:-
यह केसरीसिंह बारहठ के पुत्र थे।
इन्होनें सन् 1912 में लाॅर्ड हार्डिंग पर बम फेंका था।
बरेली जेल में इनकी मृत्यु हुई थी।
जेलर क्लाइव को इन्होने कहा ‘‘मेरी माता रोती हैं तो रोने दो मैं अपनी माता के लिए हजारों माताओं को नहीं रूला सकता’’।
इन्होने वर्धम पाठषाला से क्रान्ति का प्रषिक्षण लिया था।
जोरावरसिंह बारहठः-
यह केसरीसिंह के भाई थंे।
इन्होने सन् 1912 में लार्ड हार्डिंगस पर बम फेका था।
इन्हे पकड़ने के लिए सरकार और रजवाड़ा ने कई इनामी घोषणाएँ की थी। लेकिन ये मृत्युपर्यन्त स्वतंत्र रहें।
गोपालसिंह खरवा:-
यह अजमेर-मेरवाड़ा ठिकाने के राव थे।
इनका प्रमुख कार्य का क्रान्तिकारियों को अस्त्र-षस्त्र उपलब्ध करवाना।
इन्होनें रासबिहारी बोस, सचीन्द्र सान्याल के साथ मिलकर सषस्त्र क्रान्ति की योजना बनाई थी, जो असफल रहीं।
सागरमल गोपा:-
इनका जन्म जैसलमेर में हुआ था।
इनके समय में जैसलमेर के शासक जवाहरसिंह थे।
सागरमल गोपा ने शासक के अत्याचारेों से पीडित जनता का नेतृत्व किया।
जैसलमेर में राजनैतिक चेतना उत्पन्न करने वाले सागरमल गोपा ही थे।
इन्होने ‘‘आजादी के दीवाने’’ व ‘‘जैसलमेर का गुंडाराज’’ नामक पुस्तके लिखी।
इन्हे राजद्रोह के आरोप में जेल में मिट्टी का तेल ड़ालकर जला दिया गया।
गोकलभाई भट्ट:-
इनका जन्म सिरोंही के हाथल गावं मंे सन् 1899 में हुआ था।
इन्होने विदेषी वस्त्रों की होली, नमक सत्यागह, मद्यपान निषेध गतिविधियों का नेतृत्व किया था।
इन्होने सिरोही प्रजामण्डल की स्थापना की थी
भारत छोड़ों आंदोलन, 1942 के तहत ये कई बार जेल गए थें।
यह देषी राज्य परिषद के अध्यक्ष थे।
इन्हे राजस्थान के गांधी के नाम से भी जाना जाता हैं।
इनकी मृत्यु सन् 1986 में हुई थी।
दामोदरदास राठी:-
इन्हे स्वतंत्रता संग्राम का भामाषाह कहा जाता हैं।
यह एक उद्योगपति थे।
इन्होने सन् 1889 में ब्यावर में कृष्णा मिल की स्थापना की थी।
इन्होने क्रान्तिकारी गतिविधियों के लिए आर्थिंक सहायता प्रदान की।
जयनारायण व्यास:-
1951-54 तक मुख्यमंत्री रहें।
जन्म स्थान जोधपुर, राजस्थानी भाषा में आगी बाण नामक समाचार पत्र निकाला एवं अंग्रेजी में पीप नामक समाचार पत्र का प्रकाषन किया।
इन्हे शेर-ए-राजस्थान एवं आधुनिक राजस्थान के निर्माता भी कहा जाता हैं।
जमनालाल बजाज:-
यह गांधीजी के पांचवे पुत्र के रूप में प्रसिद्ध थे।
इनका जन्म सीकर में नवम्बर, 1889 को हुआ था।
इन्होने जयपुर और सीकर प्रजामण्डलों को गती दी।
1918 मंे इन्होने अंग्रेजो से प्राप्त राय बहाुदर की उपाधि लौटा दी।
मोतीलाल तेजावत:-
इनका जन्म उदयपुर के कोलियार गांव में हुआ था।
यह एकी आंदोलन के प्रणोता थे।
आदिवासियों में यह ‘‘बावजी’’ के नाम से प्रसिद्ध थे।
इन्होने गांधीजी की पे्ररणा से ‘‘वनवासी संघ’’ की स्थापना की।
विजयसिंह पथिक:-
इनके बचपन का नाम भूपसिंह था।
इनका जन्म उत्तरप्रदेष के बुन्देलखण्ड में हुआ था।
यह प्रसिद्ध क्रान्तिकारी सचीन्द्र सान्याल के मित्र थे।
इन्हे सम्पूर्ण भारत के किसान आंदोलन का जनक कहा जाता हैं।
बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व इन्होने किया था।
वर्धां से इन्होने ‘‘राजस्थान केसरी’’ समाचार पत्र प्रकाषित किया था।
‘‘वीर भारत समाज’’ की स्थापना इन्ही की देन हैं।
माणिक्यलाल वर्मा:-
इनका जन्म बिजौलिया में हुआ था।
यह अध्यपाक, कवि एवं गायक थे।
इन्होने मेवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना की थी।
‘‘माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान’’ की स्थापना आदिवासियों में षिक्षा-प्रसार के लिए की गई।
यह वृहत् राजस्थान के प्रधानमंत्री थें।
इनकी मृत्यु सन् 1969 में हुई थी।
भोगीलाल पाण्ड्या:-
इन्हे आदिवासियों का मसीहा, बांगड़ का गांधी कहा जाता हैं।
इनका जन्म बांसवाड़ा में हुआ था।
इन्होने ‘‘हरिजन सेवक समिति’’ की स्थापना की थी।
इन्होने 1919 में बागड़ सेवा मंदिर एवं पाठषाला की स्थापना की।
यह राजस्थान खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड़ के अध्यक्ष भी रहे।
इन्होने आदिवासियों में षिक्षा प्रसार और राजनैतिक चेतना जागृत की।
बलवंतसिंह मेहता:-
इनका जन्म उदयपुर में हुआ था।
यह मेवाड़ प्रजामण्डल के अध्यक्ष बने।
पंचायती राज-व्यवस्था के लिए इन्होने त्री-स्तरीय व्सवस्था की स्थापना की।
यह संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य थे।
इनका निधन 2003 में हुआ था।
बाल मुकुन्द बिस्सा:-
इनका जन्म जोधपुर में हुआ था। इन्होने स्वदेषी वस्त्रों की बिक्री के लिए प्रचार-प्रसार किया।
इन्होने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था।
जोधपुर के इस क्रान्तिकारी की जेल में भूख हड़ताल के कारण मृत्यु हो गयी थी।
मोहनलाल सुखड़िया:-
इनका जन्म नाथद्वारा में हुआ था। यह सन् 1954 में राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे।
राजस्थान में पंचायती राज के क्रियान्वयन में इन्होने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इन्हे आधुनिक राजस्थान का निर्माता कहते हैं।
हरिदेव जोषी:-
इनका जन्म बांसवाड़ा में हुआ था।
इन्होने दलित समाज के उत्थन के लिए षिक्षा का प्रचार किया।
नषाबन्दी एवं छुआछूत का निवारण किया।
हीरालाल शास्त्री:-
इनका जन्म जयपुर के जोबनेर में हुआ था।
इन्होनें जयपुर प्रजामण्डल की अध्यक्षता की।
30 मार्च, 1949 को यह वृहत् राजस्थान के मुख्यमंत्री बनें।
इन्होने टोंक (निवांई) में वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना की थी।
रतनषास्त्री:-
यह हीरालाल शास्त्री की पत्नी थी।
इन्होने जयपुर राज्य के सत्याग्रह के समय स्वतंत्रता सेनानियांे का कुषल नेतृत्व किया।
इन्होने शास्त्रीजी के सहयोग से जीवन कुटीर योजना की स्थापना की।
नारायणी देवी वर्मा:-
यह माणिक्यलाल वर्मा की पत्नी थी।
इन्होने बिजौलिया में षिक्षा के प्रसार का कार्य किया था।
हरविलास शारदा:-
यह अजमेर के प्रसिद्ध इतिहासकार थें।
इन्हीं के प्रयासों से बालविवाह, निरोधक कानून सितम्बर, 1929 में पारित हुआ, जो 1 अप्रैल, 1930 में लागु हुआ।
यह एक्ट शारदा एक्ट के नाम से भी जाना जाता हैं।
शोभाराम:-
इनका जन्म अलवर में सन् 1942 में हुआ था।
इन्होने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
यह मत्स्य संघ के प्रधानमंत्री भी रहें।
हरिभाऊ उपाध्याय:-
इनका जन्म ग्वालियर के मोरासा गांव में सन् 1893 को हुआ था।
यह 1926 में राजस्थान आए थे।
इन्होने सन् 1927 में हटूंडी (अजमेर) मंे गांधी आश्रम की स्थापना की थी।
इन्होने नमक सत्याग्रह में भाग लिया था।
आजादी के बाद यह अजमेर-मेरवाड़ा में मुख्यमंत्री बने।
इनका निधन सन् 1972 मंे हुआ था।
मास्टर आदित्येन्द्र:-
इनका जन्म 1907 में भरतपुर में हुआ था।
यह पेषे से अध्यापक थे।
इन्होने सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था।
यह 1954-60 तक राज्यसभा एवं विधानसभा के मंत्री भी रहें।
राजस्थान के प्रमुख व्यक्ति
अर्जुनलाल सेठी:-
इनका जन्म सितम्बर, 1880 में जयपुर में जैन परिवार में हुआ था।
इन्हे पालि, अंग्रेजी, फारसी, अरबी भाषाओं का अच्छा ज्ञान था।
यह राष्ट्रवादी नेता थे साथ ही अच्छे साहित्यकार भी थें।
इनका कार्यक्षेत्र अजमेर था।
इन्होने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी हिस्सा लिया था।
इनकी मुख्य कृतियां ‘‘पाष्र्व यज्ञ’’ ‘‘मदन पराजय’’ आदि हैं।
इन्होने स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए भारतीय प्रषासनिक सेवा का पद ठुकरा दिया। जयपुर में जनक्रान्ति सेठजी के प्रयासों से हुई।
अर्जुनलाल सेठी के प्रयासों से सन् 1907 में जयपुर में जैन षिक्षा सोसायटी की स्थापना हुई। सेठी के प्रयासों से इसी संस्ािा का नाम जैन वर्धमान विद्यालय पाठषाला रख दिया गया।
अर्जुनलाल सेठी ने जयपुर प्रजामण्डल की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सन् 1919 में स्थापित राजपूताना मध्यभारत संस्था में भी इनका योगदान महत्वपूर्ण था
इनका निधन सन् 1941 में हुआ था।
केसरीसिंह बारहठ:-
यह भीलवाड़ा के शाहपुरा के निवासी थें। इनका पूरा परिवार स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़ा।
इन्होनं ‘‘अभिनव भारती’’ संस्था की स्थापना की।
सन् 1910 में वीर भारत सभा की स्थापना की।
इनकी प्रमुख कृति ‘‘चेतावनी रा चुग्टया’’ जिसमें उदयपुर के महाराज फतहसिंह को दिल्ली दरबार में जाने से रोका गया एवं ‘‘राजस्थान का केसरी’’ हैं।
प्रतापसिंह बारहठ:-
यह केसरीसिंह बारहठ के पुत्र थे।
इन्होनें सन् 1912 में लाॅर्ड हार्डिंग पर बम फेंका था।
बरेली जेल में इनकी मृत्यु हुई थी।
जेलर क्लाइव को इन्होने कहा ‘‘मेरी माता रोती हैं तो रोने दो मैं अपनी माता के लिए हजारों माताओं को नहीं रूला सकता’’।
इन्होने वर्धम पाठषाला से क्रान्ति का प्रषिक्षण लिया था।
जोरावरसिंह बारहठः-
यह केसरीसिंह के भाई थंे।
इन्होने सन् 1912 में लार्ड हार्डिंगस पर बम फेका था।
इन्हे पकड़ने के लिए सरकार और रजवाड़ा ने कई इनामी घोषणाएँ की थी। लेकिन ये मृत्युपर्यन्त स्वतंत्र रहें।
गोपालसिंह खरवा:-
यह अजमेर-मेरवाड़ा ठिकाने के राव थे।
इनका प्रमुख कार्य का क्रान्तिकारियों को अस्त्र-षस्त्र उपलब्ध करवाना।
इन्होनें रासबिहारी बोस, सचीन्द्र सान्याल के साथ मिलकर सषस्त्र क्रान्ति की योजना बनाई थी, जो असफल रहीं।
सागरमल गोपा:-
इनका जन्म जैसलमेर में हुआ था।
इनके समय में जैसलमेर के शासक जवाहरसिंह थे।
सागरमल गोपा ने शासक के अत्याचारेों से पीडित जनता का नेतृत्व किया।
जैसलमेर में राजनैतिक चेतना उत्पन्न करने वाले सागरमल गोपा ही थे।
इन्होने ‘‘आजादी के दीवाने’’ व ‘‘जैसलमेर का गुंडाराज’’ नामक पुस्तके लिखी।
इन्हे राजद्रोह के आरोप में जेल में मिट्टी का तेल ड़ालकर जला दिया गया।
गोकलभाई भट्ट:-
इनका जन्म सिरोंही के हाथल गावं मंे सन् 1899 में हुआ था।
इन्होने विदेषी वस्त्रों की होली, नमक सत्यागह, मद्यपान निषेध गतिविधियों का नेतृत्व किया था।
इन्होने सिरोही प्रजामण्डल की स्थापना की थी
भारत छोड़ों आंदोलन, 1942 के तहत ये कई बार जेल गए थें।
यह देषी राज्य परिषद के अध्यक्ष थे।
इन्हे राजस्थान के गांधी के नाम से भी जाना जाता हैं।
इनकी मृत्यु सन् 1986 में हुई थी।
दामोदरदास राठी:-
इन्हे स्वतंत्रता संग्राम का भामाषाह कहा जाता हैं।
यह एक उद्योगपति थे।
इन्होने सन् 1889 में ब्यावर में कृष्णा मिल की स्थापना की थी।
इन्होने क्रान्तिकारी गतिविधियों के लिए आर्थिंक सहायता प्रदान की।
जयनारायण व्यास:-
1951-54 तक मुख्यमंत्री रहें।
जन्म स्थान जोधपुर, राजस्थानी भाषा में आगी बाण नामक समाचार पत्र निकाला एवं अंग्रेजी में पीप नामक समाचार पत्र का प्रकाषन किया।
इन्हे शेर-ए-राजस्थान एवं आधुनिक राजस्थान के निर्माता भी कहा जाता हैं।
जमनालाल बजाज:-
यह गांधीजी के पांचवे पुत्र के रूप में प्रसिद्ध थे।
इनका जन्म सीकर में नवम्बर, 1889 को हुआ था।
इन्होने जयपुर और सीकर प्रजामण्डलों को गती दी।
1918 मंे इन्होने अंग्रेजो से प्राप्त राय बहाुदर की उपाधि लौटा दी।
मोतीलाल तेजावत:-
इनका जन्म उदयपुर के कोलियार गांव में हुआ था।
यह एकी आंदोलन के प्रणोता थे।
आदिवासियों में यह ‘‘बावजी’’ के नाम से प्रसिद्ध थे।
इन्होने गांधीजी की पे्ररणा से ‘‘वनवासी संघ’’ की स्थापना की।
विजयसिंह पथिक:-
इनके बचपन का नाम भूपसिंह था।
इनका जन्म उत्तरप्रदेष के बुन्देलखण्ड में हुआ था।
यह प्रसिद्ध क्रान्तिकारी सचीन्द्र सान्याल के मित्र थे।
इन्हे सम्पूर्ण भारत के किसान आंदोलन का जनक कहा जाता हैं।
बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व इन्होने किया था।
वर्धां से इन्होने ‘‘राजस्थान केसरी’’ समाचार पत्र प्रकाषित किया था।
‘‘वीर भारत समाज’’ की स्थापना इन्ही की देन हैं।
माणिक्यलाल वर्मा:-
इनका जन्म बिजौलिया में हुआ था।
यह अध्यपाक, कवि एवं गायक थे।
इन्होने मेवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना की थी।
‘‘माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान’’ की स्थापना आदिवासियों में षिक्षा-प्रसार के लिए की गई।
यह वृहत् राजस्थान के प्रधानमंत्री थें।
इनकी मृत्यु सन् 1969 में हुई थी।
भोगीलाल पाण्ड्या:-
इन्हे आदिवासियों का मसीहा, बांगड़ का गांधी कहा जाता हैं।
इनका जन्म बांसवाड़ा में हुआ था।
इन्होने ‘‘हरिजन सेवक समिति’’ की स्थापना की थी।
इन्होने 1919 में बागड़ सेवा मंदिर एवं पाठषाला की स्थापना की।
यह राजस्थान खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड़ के अध्यक्ष भी रहे।
इन्होने आदिवासियों में षिक्षा प्रसार और राजनैतिक चेतना जागृत की।
बलवंतसिंह मेहता:-
इनका जन्म उदयपुर में हुआ था।
यह मेवाड़ प्रजामण्डल के अध्यक्ष बने।
पंचायती राज-व्यवस्था के लिए इन्होने त्री-स्तरीय व्सवस्था की स्थापना की।
यह संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य थे।
इनका निधन 2003 में हुआ था।
बाल मुकुन्द बिस्सा:-
इनका जन्म जोधपुर में हुआ था। इन्होने स्वदेषी वस्त्रों की बिक्री के लिए प्रचार-प्रसार किया।
इन्होने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था।
जोधपुर के इस क्रान्तिकारी की जेल में भूख हड़ताल के कारण मृत्यु हो गयी थी।
मोहनलाल सुखड़िया:-
इनका जन्म नाथद्वारा में हुआ था। यह सन् 1954 में राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे।
राजस्थान में पंचायती राज के क्रियान्वयन में इन्होने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इन्हे आधुनिक राजस्थान का निर्माता कहते हैं।
हरिदेव जोषी:-
इनका जन्म बांसवाड़ा में हुआ था।
इन्होने दलित समाज के उत्थन के लिए षिक्षा का प्रचार किया।
नषाबन्दी एवं छुआछूत का निवारण किया।
हीरालाल शास्त्री:-
इनका जन्म जयपुर के जोबनेर में हुआ था।
इन्होनें जयपुर प्रजामण्डल की अध्यक्षता की।
30 मार्च, 1949 को यह वृहत् राजस्थान के मुख्यमंत्री बनें।
इन्होने टोंक (निवांई) में वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना की थी।
रतनषास्त्री:-
यह हीरालाल शास्त्री की पत्नी थी।
इन्होने जयपुर राज्य के सत्याग्रह के समय स्वतंत्रता सेनानियांे का कुषल नेतृत्व किया।
इन्होने शास्त्रीजी के सहयोग से जीवन कुटीर योजना की स्थापना की।
नारायणी देवी वर्मा:-
यह माणिक्यलाल वर्मा की पत्नी थी।
इन्होने बिजौलिया में षिक्षा के प्रसार का कार्य किया था।
हरविलास शारदा:-
यह अजमेर के प्रसिद्ध इतिहासकार थें।
इन्हीं के प्रयासों से बालविवाह, निरोधक कानून सितम्बर, 1929 में पारित हुआ, जो 1 अप्रैल, 1930 में लागु हुआ।
यह एक्ट शारदा एक्ट के नाम से भी जाना जाता हैं।
शोभाराम:-
इनका जन्म अलवर में सन् 1942 में हुआ था।
इन्होने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
यह मत्स्य संघ के प्रधानमंत्री भी रहें।
हरिभाऊ उपाध्याय:-
इनका जन्म ग्वालियर के मोरासा गांव में सन् 1893 को हुआ था।
यह 1926 में राजस्थान आए थे।
इन्होने सन् 1927 में हटूंडी (अजमेर) मंे गांधी आश्रम की स्थापना की थी।
इन्होने नमक सत्याग्रह में भाग लिया था।
आजादी के बाद यह अजमेर-मेरवाड़ा में मुख्यमंत्री बने।
इनका निधन सन् 1972 मंे हुआ था।
मास्टर आदित्येन्द्र:-
इनका जन्म 1907 में भरतपुर में हुआ था।
यह पेषे से अध्यापक थे।
इन्होने सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था।
यह 1954-60 तक राज्यसभा एवं विधानसभा के मंत्री भी रहें।
No comments:
Post a Comment