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Thursday, May 17, 2018

राजस्थान में पंचायती-राज प्रणाली

राजस्थान में पंचायती-राज प्रणाली
राजस्थान में पंचायती-राज प्रणाली
-    बलवंत राय मेहता समिति,1957:-
>    सत्ता के विकेन्द्रीकरण पर बल, त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना की सिफारिष की।
>    NDC ने इसकी सिफारिषे स्वीकार की।
-    सादिक अली समिती, 1964:-
>    प्रधान, जिला प्रमुख के चुनाव वृहत्तर निर्वाचक मण्डल के द्वारा किया जाना चाहियें।
-    गिरधारी लाल समिति, 1973:-
>    पंचायत के लिए ग्राम सेवक तथा सचिव की नियुक्ति। पंचायत राज संस्थाओं को पर्याप्त वित्तिय संसाधन देना।
-    अशोक मेहता सिमति, 1977-78:-
>    पंचायती राज का मूल्यांकन करने के लिए गठित की गई थी। पंचायती राज को द्वि-स्तरीय बनाने पर बल दिया। राजनैतिक दलों की भागीदारी का सुझाव दिया।
>    इनकी यह सिफारिश नहीं मानी।
>    जिला परिषद को शक्तिषाली बनाना, ग्राम पंचायत व पंचायत समिति को समाप्त करना।
-    एल.एम.सिघवी समिति, 1986:-
>    पंचायती राज संस्थाओं को आधार मानने, ग्राम सभा को महत्व देने की सिफारिष की।
>    पंचायत राज को तीसरा स्तर घोषित करने पर बल दिया।
>    पंचायतों को अधिक वित्तिय संसाधन देवे।
-    संविधान संषोधन एक्ट, 1992-93:-
>    73 वें संविधान संषोजन के द्वारा 20 अप्रैल, 1993 में लागू। राजस्थान में 1994 में लागू।
-    राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994:-
>    23 अप्रैल, 1994 को संविधान संषोधन अधिनियम, 1993 राजस्थान में लागू हुआ। इसी के संबधित राजस्थान पंचायती राज एक्ट, 1996 बनाया गया, जो 30 दिसम्बर, 1996 में लागू हुआ।
>    राजस्थान पंचायत अधिनियम, 1953
-    राजस्थान पंचायत समिति व जिला परिषद एक्ट, 1959:-
>    पंचायत समिति, जिला परिषदों की स्थापना हेतु।
-    पंचायती राज-व्यवस्था:-
>    2 अक्टूबर, 1959 को नागौर के बगदरी गांव में जवाहरलाल नेहरू के द्वारा स्थापना, इस समय मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया थे।
-    ग्राम सभा:-
>    ग्राम पंचायत में एक ग्राम सभा होगी। गांव की मतदाता सूची में पंजीकृत व्यक्ति ग्राम सभा में होते हैं। इसकी बैठक वर्ष में चार बार होगी। 26 जनवरी, 1 मई, 2 अक्टूबर, 15 अगस्त को होगी।
>    ग्राम सभा की बैठक की अध्यक्षता सरपंच करता हैं।
>    इसमें गणपूर्ति 10 % होती हैं।
>    ग्राम सभा का उद्घाटन 26 जनवरी, 1999 को जयपुर के मुहाना ग्राम में हुआ था।
-    निर्वाचन आयोग:-
>    निष्पक्ष एवं समय पर चुनाव हेतु एक निर्वाचन आयोग होगा। जिसका प्रमुख राज्य निर्वाचन आयुक्त होगा। इसकी नियुक्ति राज्यपाल करेगा।
>    इसकी कार्यअवधि 5 साल या 65 वर्षं की उम्र तक होगी। प्रथम निर्वाचन आयुक्त:- अमरसिंह
>    वर्तमान में (2012):- ए.के.पाण्डेय हैं।
-    वित्त आयोग:-
>    पंचायत संस्थाओं की वित्तीय मजबूती हेतु, राज्यपाल द्वारा 5 वर्षं के लिए नियुक्त किया जाता हैं।
>    प्रथम अध्यक्ष:- कृष्ण कुमार गोयल
>    तीसरे अध्यक्ष:- माणिचन्द सुराना
>    चतुर्थ अध्यक्ष(2011-12):- बी.डी.कल्ला
-    जिला आयोजना समितियां:-
>    संविधान के अनुच्छेद 243ZD के तहत राजस्थान पंचायती राज एक्ट, 1994 की धारा 121 में इसके गठन का प्रावधान हैं।
>    जिला प्रमुख की अध्यक्षता में गठित होती हैं। सचिव, आयोजना अधिकारी समेत कुल 25 सदस्य होते हैं। 3 पदेन सदस्य निम्न होते हैं:-
1. कलेक्टर             2. मुख्य कार्यकारी अधिकारी (C.E.O)          3. अतिरिक्त मख्य कार्यकारी अधिकारी
-    पी.वी.के.राव समिति, 1985:-
>    पंचायती राज संस्थाओं को अधिकार देने की वकालत की। चार स्तरीय ढ़ाचे का सुझाव दिया।
1. राज्य विकास परिषद            2. जिला परिषद        3. मण्डल पंचायत            4. ग्राम सभा
>    महिला S.T, S.C को आरक्षण की सिफारिष की

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