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Thursday, May 17, 2018

पंचवर्षीय योजना तथा औद्योगिक विकास

पंचवर्षीय योजना तथा औद्योगिक विकास
पंचवर्षीय योजना तथा औद्योगिक विकास
पहली पंचवर्षींय योजना (1 अप्रैल 1951 से 31 मार्च 1956):-

    इस योजना का प्रारूप हेरोल्ड नामक अर्थषास्त्री ने तैयार किया। इसलिए इसे हेराल्ड माडल भी कहा जाता हैं।
    पहली पंचवर्षींय योजना से लेकर 7 वीं योजना तक सिंचाई, कृषि व विद्युत पर सर्वांधिक बल दिया गया।
    सन् 1953 में राजस्थान में ग्रामीण स्तर पर पंचायती राज अधिनियम लागू किया गया।
    चम्बल नदी घाटी परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
    राजस्थान वित्त निगम की स्थापना सन् 1955 में की गई।
    इस योजना के दौरान खाद्य उत्पादन पर सर्वांधिक बल दिया गया।
    भाखड़ा-नांगल परियोजना शुरू हुई।

दूसरी पंचवर्षींय योजना (सन् 1956-1961):-

    इस काल में पंचायती राज अधिनियम लागू हुआ।
    राजस्थान खादी ग्रामोद्योग मंडल की स्थापना हुई।
    राजस्थान हाथकरद्या मण्डल की स्थापना हुई।
    राजस्थान लघु उद्योग निगम की स्थापना हुई।
    राजस्थान वित्त निगम ;त्थ्ब्द्ध ने अपना कार्य शुरू किया।
    जमींदारी व जागीरदारी प्रथा का उन्मूलन किया।
    इस योजना की रूपरेखा महालनोविस ने बनायी थी।
    CSO (केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन) के निदेषक थें
    CSO (केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन) भारत के आर्थिंक विकास से संबंधित आंकड़े तैयार करता हैं।

तीसरी पंचवर्षींय योजना (सन् 1961-66):-

    इस काल में दो युद्ध हुए पहला 1962 में चीन से दूसरा 1965 मंे पाकिस्तान से।
    पाकिस्तान ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र पर आक्रमण किया व चीन ने अरूणाचल प्रदेष पर आक्रमण कया।
    सन् 1965 में BSF का गठन हुआ।
    इस योजना में पहली बार उद्योगों के विकास को प्राथमिकता दी गई।
    सघन कृषि कार्यक्रम शुरू किया गया (उन्नत बीज), जिसके परिणामस्वरूप हरित क्रांति हुई।

हरित क्रांति:-

    भारत में हरित क्रांति सन् 1966-67 में शुरू हुई थी।
    भारत में हरित क्रांति के जन्मदाता एम.एस.स्वामीनाथन थें। जो वर्तमान में किसान आयोग के अध्यक्ष थें।
    किसान आयोग का गठन पहली बार 2004 में हुआ था।
    वैष्विक स्तर पर हरित क्रांति की शुरूआत मैक्सिकों में सन् 1954 में हुई थी। इसके जनक नारमान बारलोग थे।
    वर्गीज श्वेत क्रांति के जनक (आपरेषन फ्लड़)
    हरित क्रांति का अर्थ/उद्देष्य:- संकर किस्म के बीजों का उपयोग करना, रासायनिक खाद का अत्यधिक उपयोग और कृषि का मषीनीकरण करना।
    गेहूँ, मक्का, सरसों, दालें (हरित क्रांति में)
    सर्वांधिक प्रभाव पंजाब, हरियाणा, पष्चिमी उत्तर-प्रदेष, मध्यप्रदेष, पूर्वी राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र में हुआ।

तीन एकवर्षींय योजनाएँ (1966-69):- एक वर्षीय योजना का मुख्य कारण विनाषक युद्ध था।
चैथी पंचवर्षींय योजना (1969-74):-

    इस काल में भारत-पाकिस्तान युद्ध सन् 1971 में हुआ था।
    डेयरी विकास कार्यक्रम शुरू हुआ।
    सूखा संभावित क्षेत्र कार्यक्रम शुरू हुआ।
    कमाण्ड क्षेत्र विकास कार्यक्रम (सिंचित क्षेत्र का विकास) शुरू हुआ।
    इस योजना की रूपरेखा अषोक मेहता ने बनायी।
    RIICO की स्थापना की गई।

पांचवी पंचवर्षींय योजना (1974-79):-

    यह योजना एकवर्ष पहले ही समाप्त कर दी गयी थी।
    इस योजना में पहली बार विकेन्द्रिकृत नियोजन को प्राथमिकता दी गई। (स्थानीय स्तर पर)
    जिला उद्योग केन्द्रों की स्थापना की गई।
    आत्मनिरर्भरता व गरीबी उन्मूलन को मुख्य उद्देष्य रखा गया।
    न्यूनतम आवष्यकता कार्यक्रम शुरू किया गया।
    बीस (20) सूत्रीय कार्यक्रम शुरू किया गया।
    यह योजना मार्च 1978 में समाप्त की गई।
    क्योंकि केन्द्र में पहली बार गैर कांगे्रसी सरकार बनी। जनता पार्टी की सरकार बनी थी।


नोट :-

    जनता पार्टी ने 5 वीं योजना को समाप्त कर 78-83 के बीच छठी पंचवर्षींय योजना शुरू की जिसे अनवरत योजना (Rolling Plan) कहते हैं।
    लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आते ही इस योजना को समाप्त कर दिया गया।
    नई योजना की रूपरेखा बनाई गई। यह 1980-85 तक चली जिसे छठी योजना कहते हैं।

छठी पंचवर्षींय योजना:-

    इस योजना में बीस सूत्री कार्यक्रम पर बल दिया गया।
    एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम चलाया गया।
    राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम को लक्ष्य बनाया गया।

सातवी योजना (1985-90):-

    इस अवधि में रोटी, कपड़ा और मकान सर्वसाधारण को सुलभ कराने की योजना बनाई गई तथा निर्धनता उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
    मरू विकास कार्यक्रम शुरू किया गया।

एक-एक वर्षं की दो योजनाएं (1990-92):-

    इसके अंतर्गत उदारीकरण पर बल दिया गया।
    उदारीकरण की नीति मनमोहन सिंह ने बनाई थी।

आठवी योजना (1992-97):-

    इस योजना में पहली बार ऊर्जा पर सर्वांधिक ध्यान दिया गया।
    जिला नियोजन की शुरूआत की गई।
    जापान के सहयोग से अरावली क्षेत्र मंे अरावली वानिकी विकास परियोजना चलाई गई।
    जीवन धारा योजना शुरू की गई।
    सीमांत कृषकों (छोटे खेत वाले) के लिए कुओं के निर्माण हेतु धन दिया गयां
    लोक जुम्बिष परियोजना व षिक्षाकर्मी परियोजना स्वीड़न की सहायता से शुरू की गई।
    ये दोनो सर्वषिक्षा अभियान के अंग हैं। जो 2009 में बंद हो गई हैं।
    सर्वषिक्षा अभियान के स्थान पर भारत सरकार द्वारा सकसेस योजना शुरू की जाएगी।
    इस योजनाकाल में दौसा जिलें में परिवार नियोजन के लिए विकल्प योजना शुरू की गई, जिसे बाद में बंद किया गया।


नवीं पंचवर्षींय योजना (1997-2002):-

    सामुदायिक सेवाओं व ऊर्जां पर सर्वांधिक खर्च किया गया।
    न्यायपूर्ण वितरण व समानता के साथ विकास पर बल दिया गया।

दसवी पंचवर्षींय योजना (2002-2007):-

    इस काल में गरीबी हटाने पर सर्वांधिक बल दिया गया।
    गरीबी रेखा कों 2012 तक 15% तक कम करने का लक्ष्य निर्धांरित किया गया।
    2007 तक 5% व 2012 तक 15% गरीबी कम करने का लक्ष्य रखा गया।

ग्याहरवी पंचवर्षींय योजना (2007-2012):-

    सामुदायिक सेवाओं पर सर्वांधिक ध्यान दिया जाएगा।
    ऊर्जा उत्पादन की दृष्टि से पूर्ण आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:-

    गरीबी हटाओं का नारा पंचायती योजना में दिया गया
    पंचवर्षींय योजनाओं की रूपरेखा योजना आयोग बनाता हैं व राष्ट्रीय विकास परिषद् लागू करती हैं।
    योजना आयोग गैर-संवैधानिक/सलाहकारी संस्थाा हैं (संविधानेतर भी)।
    पंचवर्षींय योजना की अवधारणा रूस से ली गई हैं।
    नौंवी पंचवर्षींय योजना में षिक्षा आपके द्वार कार्यक्रम शुरू किया गया।
    सातवीं योजना में योजना, काम और उत्पादकता पर बल दिया गया।

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