INDIA(भारतीय) संविधान निर्माण
संविधान
- ब्रिटिष काल में भारत के लिए पहला कानून 1773 में रेग्यूलेटींग एक्ट बना
संविधान निर्माण के दौरान के प्रावधान:-
- 1784 का पिट्स इण्डिया एक्ट
- 1793 का भारत परिषद अधिनियम
- 1858 का भारत शासन अधिनियम
- 1858 के अधिनियम के बाद कंपनी का शासन ब्रिटीष सम्राट के हाथों मे चला गया।
- 1861 का अधिनियम।
- इस अधिनियम द्वारा कराधान प्रारम्भ हुआ।
- उच्च न्यायालय की स्थापना हुई।
मार्ले-मिन्टो सुधार (1909):-
- प्रांतो के साम्प्रदायिक पृथक निर्वाचन क्षेत्र के तहत, मुसलमानों को प्रथम निर्वाचन क्षेत्र
माण्टेस्क्यू चेमनफाॅर्ट सुधार (1919):-
- प्रांतो मे द्वैध शासन लागू
1935 का भारत शासन अधिनियम:-
- इस अधिनियम से लगभग 200 अनुच्छे भारतीय संविधान में लिए
- संवैधानिक विकास का अन्तिम अधिनियम यहीं था।
महत्वपूर्ण बिन्दु
- बंगाल का पहला गर्वनर लाॅर्ड क्लाइव था।
- भारत में ब्रिटीष शासन का संस्थापक लाॅर्ड क्लाइव था।
- भारत का पहला गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स था।
- भारत का पहला गर्वनर जनरल विलियम बैंटिंग था।
- सन् 1833 अधिनियम में गवर्नर को गवर्नर जनरल बना दिया गया।
- भारत का पहला वायसराय लाॅर्ड कैनिंग था।
- भारत का अन्तिम वायसराय लाॅर्ड माउण्टबेटन था।
1.सम्पूर्ण संसदीय व्यवस्था ब्रिटेन
2.मूल. अधिकार. अमेरीका
3.मूल कत्र्तव्य (42 वं संविधान संषोधन, 1976) स्वर्णसिंह समिति द्वारा 12 मूल कत्र्तव्य बताये गये सोवियत संघ
4.नीती निदेषक तत्व (भाग 4) (मूल निर्माता, स्पेन) आयरलैण्ड
5.राष्ट्रपति अमेरीका
6.संविधान संषोधन (अनुच्छेद 368) संषोधन की दो प्रकार की प्रक्रिया हैं। दक्षिण अफ्रिका
7.राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य का प्रावधान आयरलैण्ड
8.न्यायिक व्यवस्था एवं न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति (दोनो न्यायालय के पास हैं) संयुक्त राज्य अमेरीका
संघ सूची:-
- 99 विषय राज्य सूची:- 61 विषय समवर्ती सूची:- 52 विषय
- ये आस्ट्रेलिया से ली गयी हैं।
- भारतीय शासन प्रणाली संसदीय हैं।
- संघीय व्यवस्था कनाड़ा से ली गई हैं।
- भारत का संविधान संघात्मक हैं पर आत्मा एकात्मक हैं।
- एकल नागरिकता इंग्लैण्ड से ली गई हैं।
- एकीकृत शासन व्यवस्था किसी भी प्रकार की हों, ब्रिटेन से ली गई हैं।
अनुसूचियाँ :-
- अनुसूचियाँ 12 हैं।
- संविधान निर्माण के समय अनुसूचियां 8 थी।
- 1951 में 9 वीं अनुसूची में वो विषय हैं, जिसे उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय भी नहीं बदल सकता हैं।
- 10 वीं सूची 1989:- दल-बदल कानून (राजीव गांधी ने लागू की)
- 11 वीं सूची 1993 में बनी।
- 12 वीं सूची 1994 में बनी।
भाग 24 हैं।
भाग-1:- इसमें भारत के सभी राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेषों के नाम हैं।
भाग-2:- नागरीकता का प्रावधान हैंे।
भाग-3:- मूल अधिकार हैं।
भाग-4:- नीति निर्देषक तत्व हैं।
भाग-1. अनुच्छेद -1:-
- भारत राज्यों का संघ हैं।
- इण्डिया जो कि भारत हैं।
- स्ंविधान में भारत का नाम 2 बार हैं।
- प्रस्तावना मं देष का भारत हैं।
भाग-1 अनुच्छेद 2,3,4:-
- नए राज्यों का गठन, राज्यों की सेवाओं में परिवर्तन, नाम व सीमाओं में परिवर्तन का उल्लेख हैें।
- ये सभी कार्य संसद करती हैं।
भाग-2 अनुच्छेद 5-11:-
- इसमें नागरीकता हैं।
- नागरीकता संसद देती हैं।
मूल अधिकार (भाग -3, अनुच्छेद 12 से 35)
- समानता का अधिकार:- अनुच्छेद 14 से 18
- स्वतन्त्रता का अधिकार:- अनुच्छेद 19 से 22
- शोषण के विरूद्ध अधिकार:- अनुच्छेद 23 व 24
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार:- अनुच्छेद 25 से 28
- षिक्षा व संस्कृति का अधिकार:- अनुच्छेद 29 व 30
- सम्पत्ति का अधिकार:- अनुच्छेद 31
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार:- अनुच्छेद 32
नोट:-
1978 में 44 वे संविधान संषोधन द्वारा जनता पार्टी ने (प्रधानमंत्री:- मोरारजी देसाई ने) सम्पत्ती का मूल अधिकार समाप्त कर दिया और कानूनी (वैधानिक) अधिकार का दर्जा देकर अनुच्छेद 300 (क) में डाला।
सम्पत्ति को समाप्त करने का उद्देष्य समाजवादी समाज बनाना एवं गरीब व अमीर के बीच अन्तर कम करना था।
समानता का अधिकर (अनुच्छेद 14 से 18) :-
अनुच्छेद 14:-
- विधि के समक्ष समानता और विधियों का समान संरक्षण (कानून के सामने बराबरी का अधिकार)।
अनुच्छेद 15:- धर्म, जाति, वंष, लिंग, जन्म स्थान पर भेदभाव नहीं होगा।
अनुच्छेद 16:-लोक नियोजन में अवसर की समानता (सरकारी नौकरी में सभी को अवसर)।
अनुच्छेद 17:-अस्पृष्यता का अन्त (छूआछूत का अन्त), यह अनुच्छेद महात्मा गांधी की विचारधारा से प्रेरीत हैं।
अनुच्छेद 18:- उपाधियों का अन्त (जैसे भारत रत्न, पद्म भूषण, पद्मश्री नाम के आगे नहीं लगेगी)
नोट:- सन् 1977 में जनता पाटी सरकार ने नागरीक सम्मानों को बन्द कर दिए, जो ऊपर दिए हैं।
स्वतन्त्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22):-
अनुच्छेद 19:-
- विभिन्न प्रकार की स्वतन्त्रताए।
- वाक् अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता।
- भ्रमण की स्वतन्त्रता।
- किसी भी क्षेत्र में निवास की स्वतन्त्रता
- अजीविका (व्यवसाय) अपनाने की स्वतंत्रता
- संगठन बनाने की स्वतंत्रता
- सम्मेलन आयोजित करने की स्वतंत्रता
- सम्पत्ति अर्जन/ग्रहण करने की स्वतन्त्रता।
- सूचना के अधिकार की स्वतन्त्रता (अप्रैल, 2005 में लागू हुआ)
अनुच्छेद 20:- अपने विरूद्ध साक्ष्य देने की स्वतन्त्रता।
अनुच्छेद 21:-
प्राण व दैहिक स्वतन्त्रता का अधिकार इसमें अपने शरीर की रक्षा व सम्मानूपर्वक जीने का अधिकार यह आपात काल के समय भी अनुच्छेद 21 निलम्बित नहीं होगा।
अनुच्छेद 22:-
- गिरफ्तारी के विरूद्ध संरक्षण
शोषण के विरूद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 व 24):-
अनुच्छेद 23:-
- बलात् श्रम, मानव का दुःव्यापार (क्रय-विक्रय, अंगो का क्रय-विक्रय) बेगार, दास प्रथा, सागड़ी, बंधुआ मजदूरी
अनुच्छेद 24:-
6 से 14 वर्षं के बच्चों को कारखानों में काम करने पर रोक (बाल मजदूरी)
धार्मिंक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28):-
अनुच्छेद 25:-
अन्तः करण से किसी भी धर्म को स्वीकार:- जबरदस्ती धर्म परिवर्तन पर रोक लगा रखी हैं।
अनुच्छेद 26:- धर्म की अभिवृद्धि के लिए कार्य करना।
अनुच्छेद 27:- सरकार नागरीकों पर किसी भी प्रकार का धार्मिंक कर नहीं लगाएगा।
अनुच्छेद 28:- सरकारी, अर्द्ध-सरकारी संस्थाओं, स्कूलों में किसी भी प्रकार का धार्मिंक पाठ्यक्रम धर्म-विषेष का कार्यक्रम नहीं होगा।
षिक्षा व संस्कृति का अधिकार (अनुच्छेद 29 व 30):-
अनुच्छेद 29:-
अल्पसंख्यकों को अपनी षिक्षा, संस्कृति, धर्म, लिपि के संरक्षण का अधिकार
5 अल्पसंख्यक:- मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, पारसी व बौद्ध हैं।
अनुच्छेद 30:- संस्कृत पाठषालाएँ
संवैधानिक उपचारों का अधिकर (अनुच्छेद 32):-
- व्यक्ति या नागरीकों को मूल अधिकारों का हनन होने पर अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय में व अनुच्छेद 226 के द्वारा उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती हैं।
- तब न्यायालय के द्वारा मूल अधिकार की रक्षा के लिए 5 प्रकार की रीट लगाई जा सकती हैं।
- बंदी प्रत्यक्षीकरण रीट:- व्यक्तिगत स्वतंत्रता का समर्थन करनता हैं।
- परमादेष:- अधिकारी अपने कत्र्तव्य को पूरा न करे तो कोर्ट उसे जारी करता हैं।
- अधिकार पृच्छा:- जब कोई अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्य करे तब न्यायालय के द्वारा उस कार्य को करने का अधिकार पूछा जाता है।
- प्रतिषेध:- कोर्ट निर्णय को रोकती है (अनुच्छेद 36)
- उत्प्रेषण:- कोर्ट निर्णय होने केउबाद रोकती हैं। (अनुच्छेद 38)
- अनुच्छेद 32 नागरीकों को तुरन्त न्याय प्रदान करता हैं।
- मूल अधिकार नागरीकों को राज्य के विरूद्ध प्राप्त हुए हैं (अनुच्छेद 12)।
- षिक्षा का अधिकार अनुच्छेद 21 क में 2010 में लागू हुआ। 86 वें संविधान संषोधन द्वारा।
मूल अधिकार एवं नीती निदेषक तत्व में अन्तर
मूल अधिकार (भाग-3, अनुच्छेद 12 से 35)
नीती निदेषक तत्व (भाग-4, अनुच्छेद 36 से 51)
1. यह अमेरीका से लिए गए हैं।
1.यह आयरलैण्ड से लिए गए हैं।
2. ये राज्य के विरूद्ध नागरिको को संरक्षण प्रदान करते हैं।
2. नागरीकों को प्राप्त हैं, राज्य को इन्हे लागू करना स्वैच्छिक हैं।
3. राज्य के लिए पालन करना अनिवार्यहैं।
3. राज्य के द्वारा इन्हे लागू करना चाहिए।
4. ये नकारात्मक हैं।
4. ये सकारात्मक हैं।
5. राजनीतिक, आर्थिंक, सामाजिक, धार्मिंक हैं।
5. ये आर्थिंक व सामाजिक क्षेत्र से सम्बन्धित हैं।
6. न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय (लागू करना)
6. न्यायालय द्वारा लागू नहीं होते हैं।
7. वाद योग्य हैं
7. वाद योग्य नहीं हैं।
राज्य के नीति निदेषक तत्व (भाग -4, अनुव्छेद 36 से 51)
अनुच्छेद 36:- राज्य की परिभाषा
अनुच्छेद 38:- लोकल्याण की अभिवृद्धि के लिए राज्य के द्वारा सामाजिक व्यवस्था बनाई जाएगी जैसे आय की असमानता को कम करना, अवसरोें की असमानता को कम करना आदि।
अनुच्छेद 39:- समान न्याय और निःषुल्क कानूनी सहायता।
अनुच्छेद 40:- ग्राम पंचायतों का गठन (अनुच्छेद 243 में ग्राम पंचायत प्रावधान हैं )
अनुच्छेद 41:- विषेष दषा में काम, षिक्षा व लोक सहायता पाने का अधिकर… उदाहरण:- वृद्धावस्था, विकलांगता, बेरोजगारी।
अनुच्छेद 42:- प्रसूति की अवस्था में महिला को विषेष सहायता। उदाहरण:- 180 दिन का अवकाष (2 बच्चों तक)
पुरूषों को 15 दिन का अवकाष (वैतनीक)
अनुच्छेद 44:- समान नागरिक संहिता (गोवा में समान नागरीक संहिता हैं)
अनुच्छेद 45:- अनिवार्य निःषुल्क षिक्षा उपलब्ध करवाए।
अनुच्छेद 47:- लोगो के पोषण स्तर को ऊँचा उठाना
1. अच्छा भोजन 2. मादक द्रव्यों पर रोक 3. दवाईयाँ
अनुच्छेद 48:- पर्यावरण संरक्ष को बढ़ावा व वन व वन्य जीवों की रक्षा करना, कृषि व पशुपालन में तकनीकी विकास करना।
अनुच्छेद 49:- राष्ट्रीय सम्पत्ति, स्मारकों का सरंक्षण करना।
अनुच्छेद 50:- न्यायपालिका-कार्यपालिका को अलग-अलग करना।
अनुच्छेद 51:- अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिए प्रयास करना।
मूल कत्र्तव्य ( भाग 4 क, अनुच्छेद 51 क)
- राष्ट्रीय प्रतीकों :- संविधान, राष्ट्रगान, राष्ट्रीय ध्वज के आदर्षों का सम्मान करे व
- उनका पालन करें।
- राष्ट्रीय आंदोलन के आदर्षों को अपने हृदय में जगह दे।
- राष्ट्रीय एकता, अखण्डता बनाए रखे व उसकी रक्षा करें।
- देष की रक्षा करे, जरूरत पड़ने पर बलिदान को तैयार रहें।
- भाईचारा बढ़ाना व भेदभाव दूर करे, स्त्रीयां के विरूद्ध प्रथाओं का त्याग करें।
- देष के सामाजिक, संस्कृति के गौरव को महत्व दे।
- पर्यावरण, वन, झील, नदी, वन्य जीवों की रक्षा करे व संरक्षण करे, प्राणीमात्र के प्रति दयाभाव रखें।
- वैज्ञानिक व मानववादी दृष्टिकोण रखें।
- सार्वजनिक सम्पत्ती की रक्षा करें।
- सामूहिक प्रयासों से विकास की ऊँचाईयों को छुए।
- अनिवार्य षिक्षा को लागू करना माता-पिता के द्वारा।
संसद
संसद के 3 अंग हैं: – 1. राष्ट्रपति 2. लोकसभा 3. राज्यसभा
राष्ट्रपति
अनुच्छेद 52 के अनुसार भारत का एक राष्ट्रपति होगा।
संघ की समस्त कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होती हैं।
वह इन शक्तियों का उपयोग अपने अधीनस्थ अधिकारियों व मंत्रीमण्डल की सहायता से करता हैं।
वास्तविक शक्तियाँ मन्त्रिमण्डल के पास होती हैें।
राष्ट्रपति गणतन्त्रात्मक हैं।
निवार्चक मण्डल:-
लोकसभा व राज्य सभा के निर्वाचित सदस्य।
विधानसभा के निर्वाचित सदस्य।
दिल्ली व पांडिचेरी कि विधानसभा के निर्वाचित सदस्य
नोट:- मनोनीत सदस्य निर्वाचन में शामिल नहीं होते हैं।
लोकसभा के 2 आंग्ल भारतीय मनोनीत होते हैं।
राज्य सभा के 12 आंग्ल भारतीय, विज्ञान, कला, सामाजिक सेवा से सम्बन्धित मनोनीत सदस्य
प्रत्येक विधानसभा में 1 सदस्य (आंग्ल भारतीय) राजयपाल के द्वारा निर्वाचित होता हैं।
राष्ट्रपति एकल संक्रमण आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली हैं।
योग्यता:- 35 वर्षं से ऊपर हों।
शपथ:-
उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीष दिलाता हैं।
मुख्य न्यायाधीष अल्तमष कबीर हैं।
कार्यकाल 5 वर्षं
एक व्यक्ति कितनी बार राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होगा, यह निर्धारित नहीं हैं।
महाभियोग (अनुच्छेद 61):-
कदाचार होने पर संसद राष्ट्रपति को पद से हटा सकती हैं।
महाभियोग किसी भी सदन में लाया जा सकता हैं।
दोनो सदनों के द्वारा अलग-अलग 2/3 बहुमत से (कुल सदस्य का) प्रस्ताव पारित करने पर राष्ट्रपति पद से हट जाएगा।
यह अमेरीका से लिया गया हैं।
वेतन :- 1,50,000 रु.
मुगल गार्डन राष्ट्रपति भवन पर हैं।
प्रायोगिक कृषि सारी यहीं पर हुई हैं (चैती, गुलाब, जोजोबा खेती)
संचित निधी से राष्ट्रपति को वेतन मिलता हैं।
राष्ट्रपति की शक्तियां:-
नियुक्ति से सम्बन्धित:-
प्रधानमंत्री व मंत्री की नियुक्ति
न्यायाधीषां की नियुक्तियां
निर्वाचन आयोग, संघ लोक सेवा आयोग, वित्त आयोग, अनुसूचति जनजाति आयोग, अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति
CAG (नियंत्रक महालेखा परीक्षक), महान्यायवादी व महाधिवक्ता की नियुक्ति।
नोट:- उच्च न्यायालय मं सबसे ज्यादा न्यायाधीष इलाहबाद से व सबसे कम सिक्किम से हैं।
विदेषी राजदूतों की नियुक्ति
तीनों सेनापतीयों की नियुक्ति
केन्द्रषासित प्रदेषों में प्रषासकों की नियुक्ति
राज्यापालों की नियुक्ति (राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद पर रहता हैं)
भारत के सभी केन्द्रीय विष्वविद्यालयां का कुलाधिपती राष्ट्रपति होता हैं।
कार्यपालिका शक्तियां (विधायी शक्तियां):-
संसद का अधिवेषन बुलाना/सत्र बुलाना
अधिवेषन भंग करना/सत्रावसान
अधिवेषन के प्रारम्भ में संसद को संबोधित करना।
बजट पेष करवाना।
सभी प्रकार की रिपोर्ट संसद में पेष करना।
कोई भी विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति के बिना कानून नहीं बनेगा।
राष्ट्रपति साधारण विधेयक को 1 बार पुर्नविचार के लिए लौटा सकता हैं। दुबारा भेजने पर राष्ट्रपति अनुमति देने के लिए बाध्य नहीं हैं।
अध्यादेष जारी करना:-
जब संसद का अधिवेषन न चल रहा हो और कोई कानून बनाना आवष्क हो जाए तब केबिनेट की अनुमति से राष्ट्रपति अध्यादेष जारी करेगा। ऐसा अध्यादेष संसद की बैठक के बाद 6 सप्ताह तक प्रभावी रहेगा। इसके बाद स्वतं ही निष्प्रभावी हो जाएगा।
राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय से किसी भी संवैधानिक प्रष्न पर राय मांग सकता हैं।
दण्ड-माफी की शक्तियाँ:- राष्ट्रपति मृत्युदण्ड को माफ कर सकता हैं, पर राज्यपाल नहीं।
लोकसभा एवं राज्यसभा में अन्तर
लोकसभा (निम्न सदन)
राज्यसभा (उच्च सदन)
1. यह अस्थाई सदन हैं।
1. यह स्थाई सदन हैं।
2. सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्षं का होता हैं।
2. सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्षं का होता हैं।
3. सदस्य की अधिकतम संख्या 552 हैं। 2026 तक यही रहेगें।
3. अधिकतम 250 सदस्य, इसमंे 238 निर्वाचित एवं 12 मनोनीत हैं।
4. वर्तमान में 545 हैं। निर्वाचित 543 हैं एवं मनोनीत 2 हैं।
4. वर्तमान में 545 सदस्य हैं।
लोकसभा अध्यक्ष:-
15 वीं लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमारी हैं। यह पहली महिला उपसभापति हैं।
लोकसभा का अध्यक्ष, लोकसभा का सदस्य होता हैं।
लोकसभा का अध्यक्ष पद की शपथ नहीं लेता हैं।
लोकसभा की समस्त कार्यवाही का संचालन करता हैं।
लोकसभा का उपाध्यक्ष करीया मुण्डा हैं, जो लोकसभा का सदस्य हैं।
लोकसभा के अध्यक्ष पद का निर्वाचन लोकसभा के सदस्य करते हैं।
राज्य सभा का सभापति:- डा. हामिद अंसारी हैं।
उपराष्ट्रपति इसका पदेन सभापति होता हैं।
उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सदस्य नहीं होता हैं।
उपसभापति:- के.रहमान खान, यह सदस्य होगा।
नोट:- लोकसभा अध्यक्ष व राज्यसभा का सभापति अपने-अपने सदन में सामानयतः मतदान में भाग नहीं लेते हैं। मत बराबर होने पर वे निर्णायक मत देगें।
लोकसभा व राज्यसभा की शक्तियाँ
वित्त विधेयक/धन विधेयक हमेषा लोकसभा में पारीत/प्रस्तुत होगा।
राज्यसभा धन विधेयक को केवल 14 दिन तक रोक सकती हैं।
धन विधेयक पर संयुक्त बैठक नहीं होती हैं।
संयुक्त बैठक राष्ट्रपति बुलाता हैं, संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करेगा।
साधारण विधेयक किसी भी सदन में पेष किया जा सकता हैं।
अगर कोई भी सदन ऐसे विधेयक पारित नहीं करता हैं और पुर्नविचार के लिए लौटा देता हैं एवं मतभेद 6 माह तक चलता रहे, तब संयुक्त बैठक बुलाई जाएगी।
राज्यसभा के विषेषाधिकार:-
अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन करने के लिए विधेयक सबसे पहले राज्यसभा में प्रस्तुत होगा (लोकसभा की अनुमति के लिए बाध्य)।
राज्य सूची के किसी विषय पर कानून बनाने के लिए संसद को अधिकृत करना।
विधानपरिषद को किसी भी प्रकार की कोई शक्ति प्राप्त नहीं हैं। यह विलम्बनकारी संस्था हैं।
राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेती है।
विधान परिषद का अध्यक्ष इन्हीं में से कोई 1 होगा।
राज्यपाल
प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होगा। राज्य की समस्त कार्यपालीका शक्तियाँ राज्यपाल के पास होती हैं।
इन शक्तियों का उपयोग वह अपने अधीनस्थ अधिकारियों व मंत्रीमण्डल की सहायता से करता हैं।
2 या 2 से अधिक राज्यों के लिए 1 राज्यपाल हो सकता हैं।
योग्यता:- उम्र 35 साल
कार्यकाल:- राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद पर रहता हैं।
शपथ उच्च न्यायालय का न्यायाधीष दिलाता हैं।
नियुक्ति:- राष्ट्रपति द्वारा
प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री की नियुक्ति होती हैं।
राष्ट्रपति व उप-राष्ट्रपति का निर्वाचन होता हैं।
विधान परिषद व विधान सभा में अन्तर
विधान परिषद (उच्च सदन)
विधान सभा (निम्न सदन)
1. यह राज्यसभा की तरह स्थाई होती हैं।
1. यह लोकसभा की तरह अस्थाई होती हैं।
2. यह जम्मू-कष्मीर, बिहार, उत्तरप्रदेष,महाराष्ट्र, आंधप्रदेष (नवीन), कर्नाटक मे हैं।
2. भारत में 30 विधानसभा हैं।
3. सदस्य कार्यकाल 6 वर्ष होता हैं
3. सदस्य कार्यकाल 5 वर्ष होता हैं।
4. प्रत्येक 2 वर्षं बाद 1/3 सदस्य परिवर्तित होते हैं एवं इतने ही वापस निर्वाचित हो जाते हैं।
4. यह 5 वर्षं बाद या उससे पहले या कभी भी भंग हो सकती हैं।
5. सम्बन्धित विधानसभा के सदस्यों का 1/3 होता है।
5. अधिकतम 500 सदस्य हैं।
6. न्यूनतम 40 सदस्य होते हैं।
6. न्यूनतम 60 सदस्य होते हैं।
7. अप्रत्यक्ष निर्वाचन होता हैं, जो निम्न प्रणाली से होता हैं:- 1/6 सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनीत होते हैं। कुछ सदस्य स्थानीय निकायों, जल बोर्ड़, विद्युत बोर्ड़ एवं छात्रसंघ से बने निर्वाचन मण्डल के द्वारा निर्वाचित होते हैं। कुछ सदस्य माध्यमिक स्तर एवं उसके ऊपर के अध्यापकों से बने निर्वाचक मण्डल के द्वारा निर्वाचित होते हैं। कुछ सदस्य M.L.A के द्वारा निर्वांचित होते हैं।