राजस्थान में प्रशासनिक व्यवस्था
राजस्थान में प्रशासनिक व्यवस्था
- एकीकरण के समय 25 जिलें बनाये गये, जिन्हें पांच संभागों में विभाजित किया। जिले का प्रमुख प्रषासनिक अधिकारी जिलाधीष और संभागीय स्तर का प्रषासनिक अधिकारी संभागीय आयुक्त था। एकीकरण के समय संभाग निम्न थें:-
1. जयपुर 2. जोधपुर 3. उदयपुर 4. बीकानेर 5. कोटा
- नवम्बर, 1956 में अजमेर के विलय होने पर 26 वें जिलें के रूप में जयपुर संभाग में रखा गया और जयपुर संभाग का नाम अजमेर संभाग रखा, लेकिन मुख्यालय जयपुर रहा।
- अप्रैल, 1926 में मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़ीया ने संभागीय प्रणाली समाप्त करदी।
- 26 जनवरी, 1987 को मुख्यमंत्री हरिदेवजोषी ने संभागीय प्रणाली पुनः स्थापित की और छठे संभाग के रूप में जयपुर की पुनःस्थापना की। 4 जून, 2005 को भरतपुर को नया संभाग बनाया गया।
संभाग
जिले
अजमेर
अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा, टोंक
बीकानेर
बीकानेर, गंगानगर, चुरू, हनुमानगढ़
जोधपुर
जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली, जालौर, सिरोही
उदयपुर
उदयपुर, राजसमन्द, डुंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़
भरतपुर
भरतपुर, करौली, सवांईमाधोपुर, धौलपुर
कोटा
कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़
- निम्न नयें जिलें बनये गये:-
> 15 अप्रैल, 1982 को धौलपुर 27 वां जिला बनाया गया।
> 10 अप्रैल, 1991 को दौसा राजसमन्द, बारां को जिला बनाया गया।
> 12 जुलाई, 1994 को हनुमानगढ़ को जिला बनाया गया।
> 19 जुलाई, 1997 को करौली को जिला बनाया गया।
> 1 अप्रैल, 2008 को प्रतापगढ़ को जिला बनाया गया।
विधानसभा कार्यकाल
विधानसभा
गठन
भंग
महिला सदस्य
प्रथम (160)
29.03.52
23.03.57
2
दूसरी (176)
24.04.57
01.03.62
9
तीसरी (176)
03.03.68
28.02.67
8
चौथी (184)
03.03.67
15.03.72
7
पांचवी (184)
15.03.72
30.04.77
13
छठी (200)
22.06.77
17.02.80
8
सातवी (200)
06.06.80
09.03.85
9
आठवी (200)
09.03.85
01.03.90
17
नवीं (200)
02.03.90
15.12.92
12
दसवी (200)
04.12.93
30.11.99
10
ग्यारहवी (200)
01.12.99
05.12.03
15
बारहवी (200)
06.12.03
10.12.05
12
तेरहवी (200)
11.12.08
30
विधानसभा अध्यक्ष
1.
नरोत्तमलाल जोशी
2.
रामनिवास मिर्धां
3.
निरंजनाथ आचार्य
4.
रामकिशोर व्यास
5.
लक्ष्मणसिंह
6.
भोपालसिंह
7.
पुनमचन्द
8.
हीरालाल देवपुरा
9.
गिरिराज तिवाड़ी
10.
हरिषंकर भाभड़ा
11.
शान्तिलाल चपलोत
12.
समरथलाल मीणा
13.
परषराम मदेरणा
14.
सुमित्रासिंह
15.
दीपेन्द्र सिंह
विवरण
9176 ग्राम पंचायत (प्राथमिक स्तर)
संस्था (स्तर)
ग्राम पंचायत-9176
गठन
गंवो का समुह, सरपंच, उप-सरपंच, पंच, ग्राम सभा द्वारा निर्वांचित पंच वॉर्ड वार। प्रत्येक वॉर्ड में पंजीकृत वयस्क सदस्य प्रत्यक्ष निर्वाचित होते हैं।
योग्यता
न्यूनतम आयु 21 वर्ष। 21 नवम्बर, 1995 के बाद तीसरा संतान होने पर चुनाव लड़ने के अयोग्य, सम्बन्धित निवार्चन क्षेत्र का मतदाता होना आवष्यक हैं।
निर्वाचित सदस्य संख्या
3000 जन संख्या पर 9 सदस्या। इसके अधिक प्रति हजार पर 2 अतिरिक्त सदस्य।
सरकारी अधिकारी
ग्राम सेवक
सरपंच का चुनाव
गाव के वयस्क मतदाता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता हैं।
उप-सरपंच का चुनाव
वॉर्ड पंचो व सरपंच द्वारा किसी वॉर्ड पंच को अप्रत्यक्ष निर्वाचित करता हैं।
बैठक
प्रत्येक 15 दिन में कम से कम एक बार
अविश्वास प्रस्ताव
प्रथम दो वर्षं तक नहीं लाया जा सकता हैं। दो वर्ष बाद 3/4 बहुमत से लाया जा सकता हैं। एक बार अविष्वास प्रस्ताव असफल होने पर दोबारा नहीं लाया जा सकता हैं।
विवरण
मध्य-स्तर (खण्ड स्तर)
संस्था
पंचायत समिति-249
गठन
प्रधान, उप-प्रधान, सदस्य 1. निर्वाचित सदस्य:- प्रधान , उप-प्रधान, सदस्य 2. पदेन:- सम्बंधित पंचायत समिति के सरपंच, सम्बंधित पंचायत समिति क्षेत्र का विधान-सभा सदस्य, निर्वाचित सदस्य प्रत्यक्ष निर्वांचित होते हैं , प्रधान का निर्वांचन सदस्य मिल कर करते हैं। प्रधान का सदस्यहोना आवष्यक हैं।
योग्यता
21 वर्ष, पंचायत (ग्राम पंचायत) के समान
निर्वांचित सदस्य संख्या
न्यूनतम 15 सदस्य , एक लाख से अधिक होने पर प्रत्येक 15000 पर दो अतिरिक्त सदस्य होगें।
सरकारी अधिकारी
खण्ड़ विकास अधिकारी
प्रधान का त्यागपत्र
जिला प्रमुख
उप-प्रधान का त्यागपत्र
उप-प्रधान
बैठक
प्रत्येक माह में कम से कम एक बार
विवरण
शीर्ष स्तर (जिला स्तर)
संस्था
जिला परिषद-33
गठन
जिला स्तर, जिला प्रमुख (अप्रत्यक्ष)
उप-जिला प्रमुख (अप्रत्यक्ष)
सदस्य (प्रत्यक्ष)
पदेन:- सभी प्रधान सम्बन्धित जिलों के लोकसभा, राज्यसभा, विधान सभा के सदस्य (सम्बन्धित जिले कें)
योग्यता
21 वर्षं
निर्वाचित सदस्य संख्या
न्यूनतम 17, चार लाख से अधिक होने पर प्रत्येक 1 लाख पर दो अतिरिक्त सदस्य।
सरकारी अधिकारी
मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO)
जिला प्रमुख का त्यागपत्र
संभागीय आयुक्त
उप-जिला प्रमुख का त्यागपत्र
जिला-प्रमख, सदस्य भी जिला प्रमुख को।
बैठक
तीन माह में एक बार
राजस्थान में प्रशासनिक व्यवस्था
- एकीकरण के समय 25 जिलें बनाये गये, जिन्हें पांच संभागों में विभाजित किया। जिले का प्रमुख प्रषासनिक अधिकारी जिलाधीष और संभागीय स्तर का प्रषासनिक अधिकारी संभागीय आयुक्त था। एकीकरण के समय संभाग निम्न थें:-
1. जयपुर 2. जोधपुर 3. उदयपुर 4. बीकानेर 5. कोटा
- नवम्बर, 1956 में अजमेर के विलय होने पर 26 वें जिलें के रूप में जयपुर संभाग में रखा गया और जयपुर संभाग का नाम अजमेर संभाग रखा, लेकिन मुख्यालय जयपुर रहा।
- अप्रैल, 1926 में मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़ीया ने संभागीय प्रणाली समाप्त करदी।
- 26 जनवरी, 1987 को मुख्यमंत्री हरिदेवजोषी ने संभागीय प्रणाली पुनः स्थापित की और छठे संभाग के रूप में जयपुर की पुनःस्थापना की। 4 जून, 2005 को भरतपुर को नया संभाग बनाया गया।
संभाग
जिले
अजमेर
अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा, टोंक
बीकानेर
बीकानेर, गंगानगर, चुरू, हनुमानगढ़
जोधपुर
जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली, जालौर, सिरोही
उदयपुर
उदयपुर, राजसमन्द, डुंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़
भरतपुर
भरतपुर, करौली, सवांईमाधोपुर, धौलपुर
कोटा
कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़
- निम्न नयें जिलें बनये गये:-
> 15 अप्रैल, 1982 को धौलपुर 27 वां जिला बनाया गया।
> 10 अप्रैल, 1991 को दौसा राजसमन्द, बारां को जिला बनाया गया।
> 12 जुलाई, 1994 को हनुमानगढ़ को जिला बनाया गया।
> 19 जुलाई, 1997 को करौली को जिला बनाया गया।
> 1 अप्रैल, 2008 को प्रतापगढ़ को जिला बनाया गया।
विधानसभा कार्यकाल
विधानसभा
गठन
भंग
महिला सदस्य
प्रथम (160)
29.03.52
23.03.57
2
दूसरी (176)
24.04.57
01.03.62
9
तीसरी (176)
03.03.68
28.02.67
8
चौथी (184)
03.03.67
15.03.72
7
पांचवी (184)
15.03.72
30.04.77
13
छठी (200)
22.06.77
17.02.80
8
सातवी (200)
06.06.80
09.03.85
9
आठवी (200)
09.03.85
01.03.90
17
नवीं (200)
02.03.90
15.12.92
12
दसवी (200)
04.12.93
30.11.99
10
ग्यारहवी (200)
01.12.99
05.12.03
15
बारहवी (200)
06.12.03
10.12.05
12
तेरहवी (200)
11.12.08
30
विधानसभा अध्यक्ष
1.
नरोत्तमलाल जोशी
2.
रामनिवास मिर्धां
3.
निरंजनाथ आचार्य
4.
रामकिशोर व्यास
5.
लक्ष्मणसिंह
6.
भोपालसिंह
7.
पुनमचन्द
8.
हीरालाल देवपुरा
9.
गिरिराज तिवाड़ी
10.
हरिषंकर भाभड़ा
11.
शान्तिलाल चपलोत
12.
समरथलाल मीणा
13.
परषराम मदेरणा
14.
सुमित्रासिंह
15.
दीपेन्द्र सिंह
विवरण
9176 ग्राम पंचायत (प्राथमिक स्तर)
संस्था (स्तर)
ग्राम पंचायत-9176
गठन
गंवो का समुह, सरपंच, उप-सरपंच, पंच, ग्राम सभा द्वारा निर्वांचित पंच वॉर्ड वार। प्रत्येक वॉर्ड में पंजीकृत वयस्क सदस्य प्रत्यक्ष निर्वाचित होते हैं।
योग्यता
न्यूनतम आयु 21 वर्ष। 21 नवम्बर, 1995 के बाद तीसरा संतान होने पर चुनाव लड़ने के अयोग्य, सम्बन्धित निवार्चन क्षेत्र का मतदाता होना आवष्यक हैं।
निर्वाचित सदस्य संख्या
3000 जन संख्या पर 9 सदस्या। इसके अधिक प्रति हजार पर 2 अतिरिक्त सदस्य।
सरकारी अधिकारी
ग्राम सेवक
सरपंच का चुनाव
गाव के वयस्क मतदाता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता हैं।
उप-सरपंच का चुनाव
वॉर्ड पंचो व सरपंच द्वारा किसी वॉर्ड पंच को अप्रत्यक्ष निर्वाचित करता हैं।
बैठक
प्रत्येक 15 दिन में कम से कम एक बार
अविश्वास प्रस्ताव
प्रथम दो वर्षं तक नहीं लाया जा सकता हैं। दो वर्ष बाद 3/4 बहुमत से लाया जा सकता हैं। एक बार अविष्वास प्रस्ताव असफल होने पर दोबारा नहीं लाया जा सकता हैं।
विवरण
मध्य-स्तर (खण्ड स्तर)
संस्था
पंचायत समिति-249
गठन
प्रधान, उप-प्रधान, सदस्य 1. निर्वाचित सदस्य:- प्रधान , उप-प्रधान, सदस्य 2. पदेन:- सम्बंधित पंचायत समिति के सरपंच, सम्बंधित पंचायत समिति क्षेत्र का विधान-सभा सदस्य, निर्वाचित सदस्य प्रत्यक्ष निर्वांचित होते हैं , प्रधान का निर्वांचन सदस्य मिल कर करते हैं। प्रधान का सदस्यहोना आवष्यक हैं।
योग्यता
21 वर्ष, पंचायत (ग्राम पंचायत) के समान
निर्वांचित सदस्य संख्या
न्यूनतम 15 सदस्य , एक लाख से अधिक होने पर प्रत्येक 15000 पर दो अतिरिक्त सदस्य होगें।
सरकारी अधिकारी
खण्ड़ विकास अधिकारी
प्रधान का त्यागपत्र
जिला प्रमुख
उप-प्रधान का त्यागपत्र
उप-प्रधान
बैठक
प्रत्येक माह में कम से कम एक बार
विवरण
शीर्ष स्तर (जिला स्तर)
संस्था
जिला परिषद-33
गठन
जिला स्तर, जिला प्रमुख (अप्रत्यक्ष)
उप-जिला प्रमुख (अप्रत्यक्ष)
सदस्य (प्रत्यक्ष)
पदेन:- सभी प्रधान सम्बन्धित जिलों के लोकसभा, राज्यसभा, विधान सभा के सदस्य (सम्बन्धित जिले कें)
योग्यता
21 वर्षं
निर्वाचित सदस्य संख्या
न्यूनतम 17, चार लाख से अधिक होने पर प्रत्येक 1 लाख पर दो अतिरिक्त सदस्य।
सरकारी अधिकारी
मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO)
जिला प्रमुख का त्यागपत्र
संभागीय आयुक्त
उप-जिला प्रमुख का त्यागपत्र
जिला-प्रमख, सदस्य भी जिला प्रमुख को।
बैठक
तीन माह में एक बार
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