राजस्थान का मध्यकालीन इतिहास
700 वीं से 12 वीं शताब्दी का युग राजपुताना का युग कहलाता हैं।
राजपुतों की उत्पति के सम्बन्ध में अलग-अलग मत दिये जाते हैं।
अग्निकुण्ड का सिद्धान्त चंदबरदायी ने अपनी पुस्तक पृथ्वीराज रासों में दिया।
कर्नल टाॅड ने राजपूतो की उत्पति शक कुषाणो से माना है।
विदेशी जातियों:- डी.आर.भण्डारकर।
क्षत्रिय (सूर्यवंषी):- गौरीषंकर ओझा।
आदिम जातियां:- स्मिथ।
राजस्थान में गुर्जरों का आधिपत्य सातवीं शताब्दी में हुआ था।
गुर्जर प्रदेष:-
जालौर और भीनमाल का क्षेत्र गुर्जरात्रा कहलाता हैं।
गुर्जर प्रतिहारों ने आठवी से लेकर दसवी शताब्दी तक राजस्थान पर शासन किया।
मुहणोत नैण्सी:-
भारत में गुर्जरों की 26 शाखाओं का उल्लेख करते हैं।
राजस्थान में इसकी दो शाखाएं थी: 1. भीनमाल 2. मंड़ोर
ईस्ट इण्डिया कम्पनी और देषी रियासतों की सन्धि
क्र.स. रियासत सन् सन्धिकर्ता
1. भरतपुर 1803. रणजीतसिंह
2. करौली 15 नवम्बर 1817. हरबक्षपालसिंह
3. टोंक. 17 नवम्बर 1817. अमीर खां
4. कोटा 26 दिसम्बर 1817. उम्मेदसिंह
5. जोधपुर. 6 जनवरी 1818. मनसिंह
6. उदयपुर. 13 जनवरी 1818. भीमसिंह
7. बूंदी 10 फरवरी 1818. विष्णुसिंह
8. बीकानेर. 21 मार्च 1818. सूरतसिंह
9. जयपुर. 8 अप्रैल 1818. सवांईजगत सिंह
10. जैसलमेर. 2 जनवरी 1819. म्ूलराज
11. सिरोही 11 सितम्बर 1819. षिवसिंह
#RajasthanGernalKnowledgeKnowledge #RajasthanG.K
No comments:
Post a Comment